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उत्तराखण्ड

नशा रूपी राक्षस से दूर रहे भारत के युवा: जोशी

26 जून को हर साल दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय नशा निषेध दिवस (इंटरनेशनल डे अगेन्स्ट ड्र्ग अब्यूस एंड इलिसिट ट्रैफिकिंग) के रूप में मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से इस इस दिवस की स्थापना वर्ष 1987 में हुई थी. लोगों को नशे से मुक्त कराने और उन्हें जागरुक करने के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है।

नशीली दवाओं या पदार्थों का सेवन करने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ते देख संयुक्त राष्ट्र ने 7 दिसंबर 1987 को अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाने की घोषणा की थी, इस दिवस के माध्यम से लोगों को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध व्यापार के प्रति जागरुक किया जाता है।

उत्तराखण्ड में भी कई युवा नशे की गिरफ्त में आ चुके हैं। नशे की गिरफ्त में आए इन युवाओं को इस व्यसन से मुक्त करने व उनके कल्याण के लिए प्रदेश में मानवाधिकार संरक्षण एवं भ्रष्टाचार निवारक समिति पिछले 15 वर्षों से भी अधिक समय से लगातार युवाओं को नशा मुक्त करने का काम कर रही है। समिति के अध्यक्ष एडवोकेट ललित मोहन जोशी 15 वर्षों से विभिन्न स्कूलों में जाकर छात्र-छात्राओं व युवाओं को नशे से दूर रहने के प्रति जागरूक करते रहे हैं। उन्होंने देश के युवाओं से “नशे को ना जिंदगी को हां” का नारा देते हुए व्यसन मुक्त रहने की अपील की है। कोरोना संक्रमण के चलते बीते 1 साल में भले ही वह भौतिक रूप से बच्चों के बीच ना पहुंचे हो, लेकिन वर्चुअल तौर पर वह लगातार युवाओं को नशा मुुक्ति के लिए जागरूक करते रहे हैं। नशे के खिलाफ लगातार काम करने के लिए उन्हें कई मंचों पर सम्मानित भी किया जा चुका है।

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आज अन्तर्राष्ट्रीय नशा निषेध दिवस के अवसर पर भी एडवोकेट ललित मोहन जोशी ने सैंकडों युवाओं से वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए बात की और उनसे नशा रूपी राक्षस से दूर रहने की अपील की। अपने संदेश में उन्होंने कहा भारत को तोड़ने की कोशिश करने वाली विदेशी शक्तियों का सामना हम तभी डटकर कर पाएंगे जब हमारा युवा नशा मुक्त होगा। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी नशा किया जाता था, हालांकि इसका उद्देश्य समाज को दूषित करना कतई नहीं था, लेकिन आजकल नशे की परिभाषा बदल गई है। आजकल बच्चे-बड़े सभी नशा करते हैं। बच्चे तो कई प्रकार के नशा करने लगे हैं, जिनमें शराब, ड्रग्स और हेरोइन शामिल हैं। बच्चों का नशे में रहना गंभीर चिंता का विषय है।

बच्चों के हाथ में देश का भविष्य होता है। इससे आने वाली पीढ़ी पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। इसके साथ ही खपत अधिक होने से अवैध तस्करी भी जमकर हो रही है। उन्होंने कहा कि इसके दुष्प्रभाव से बच्चों को बचाने के लिए वह हरसंभव प्रयास करेंगे और जब तक देश का युवा नशे की गिरफ्त से दूर नहीं हो जाता, तब तक वह नशे के खिलाफ यह जंग जारी रखेंगे। एडवोकेट ललित मोहन जोशी के द्वारा नशे के खिलाफ चलाए गए अभियान की वीडियोज सजग इंडिया यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध हैं, जिन्हें अब तक हजारों लोगों ने देखा और इनसे प्रेरित होकर कई लोग नशे से दूर रहने का संकल्प ले चुके हैं।

पूरे विश्व में भी इस दिन विभिन्न समुदायों और संगठन लोगों को नशीली दवाओं के प्रति क्षेत्रीय स्तर लोगों को जागरुक करने के लिए तमाम तरह के कार्यक्रम चलाते हैं, इस दौरान उन्हें नशीले पदार्थों से होने वाले नुकसान और खतरों के बारे में बताया जाता है। आधुनिक समय में नशा का प्रचलन बहुत बढ़ गया है। जानकारों की मानें तो पूर्व में भी नशा किया जाता था। हालांकि, इसका उद्देश्य समाज को दूषित करना कतई नहीं था, लेकिन आजकल नशे की परिभाषा बदल गई है। आजकल बच्चे-बड़े सभी नशे करते हैं। बच्चे तो कई प्रकार के नशा करने लगे हैं, जिनमें शराब, ड्रग्स और हेरोइन शामिल हैं। बच्चों का नशे में रहना गंभीर चिंता का विषय है। बच्चों के हाथ में देश का भविष्य होता है। इससे आने वाली पीढ़ी पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। इसके साथ ही खपत अधिक होने से अवैध तस्करी भी जमकर हो रही है। इस दुष्प्रभाव से बच्चों को बचाने हेतु संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाने की शुरुआत की।

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