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कुमाऊँ

निराशाजनक है वित्त मंत्री का अंतरिम बजट :तिवारी

हल्द्वानी। कांग्रेस कुमाऊं प्रवक्ता नीरज तिवारी ने कहा कि कांग्रेस ने अंतरिम बजट पर बयान जारी कर वित्त मंत्री पर उम्मीद जताई थी कि वह गरीब और मध्यम वर्ग के लिए कोई नई योजनाएँ लाएगी। उनकी तकलीफ़ों को कम करने के लिए कुछ घोषणाएँ होगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
हर साल की तरह मोदी सरकार का अंतरिम बजट केवल रंग-बिरंगे शब्दों का मायाजाल था ! इसमें ठोस कुछ नहीं था, बड़े-बड़े और खोखले दावे करना इस सरकार की आदत है।
वित्त मंत्री ने बजट 2024 में कहा कि वे 2014 और 2024 की तुलना करने के लिए वाइट पेपर सदन में रखेंगी। तो उनको बताना चाहिए कि –

  1. पिछले 10 सालों में सरकार ने जितने वादे किए गए, उनमें से कितने पूरे हुए? कितने बाक़ी हैं? बजट में उन वादों का कोई ज़िक्र नहीं था। सालाना 2 करोड़ नौकरियाँ, किसानों की आय दोगुनी करना, 2022 तक सभी को पक्का घर, 100 स्मार्ट सिटी, ये सभी वादें आज तक पूरे नहीं हुए।
  2. 2014 में जो कृषि विकास दर 4.6% था, वो इस साल 1.8% कैसे हो गया। UPA के दौरान हमारी खेती 4% औसत से बढ़ती थी, वो आधा क्यों हो गया? क्यों 31 किसान हर रोज़ आत्महत्या करने पर मजबूर हैं?
  3. 2014 में शिक्षा का बजट जो कुल बजट का 4.55% था, वो गिरकर 3.2% कैसे हो गया?
  4. एससी, एसटी,ओबीसी और अल्पसंख्यक कल्याण का कुल बजट लगातार क्यों गिर रहा है?
  5. रक्षा बजट और स्वास्थ्य बजट में लगातार गिरावट क्यों जारी है?
  6. पूरे बजट मेंJobs शब्द केवल एक बार इस्तेमाल किया गया है। बेरोज़गारी 45 साल में सबसे अधिक क्यों हैं?
    20-24 साल के युवाओं की बेरोज़गारी 45% पर क्यों है?
    मोदी सरकार ने 3 करोड़ से ज़्यादा लोगों की नौकरियां क्यों छीनी? हर महीने पेपर लीक क्यों होते हैं?
  7. आसमान छूती महंगाई से हर कोई परेशान है। ज़रूरी वस्तुओं पर 5% से18% GST क्यों लगाया? आटा, दाल, चावल, दूध, सब्ज़ियों के दाम क्यों बढ़ते जा रहें हैं? यह बतानेवाला कोई नहीं है।
  8. वित्त मंत्री दावा करती हैं कि आम आदमी की आय बढ़ी है। ये झूठ है, सच है कि पिछले 5 वर्षों में ग्रामीण भारत का वेतन घटा है। ग्रामीण दिहाड़ी 10 सालों में बढ़ने के बजाय गिरी है।
    9 .वित्तमंत्री जी ने पूरे बजट के भाषण में मनरेगा का नाम तक नहीं लिया। क्योंकि UPA के वक़्त 100 दिन का काम मिलता था, वो अब केवल साल में 48 दिन रह गया है।
  9. महिला व बाल विकास मंत्रालय का बजट भी कुल बजट की तुलना में इस सरकार ने कम किया है। Female Labour Force Participation जो 2005 में 30% पर था वो अब 24% पर क्यों गिर गया?
  10. कांग्रेस यूपीए के दौरान देश का औसत आर्थिक विकास दर जो न्यू सीरीज के मुताबिक, 8% पर था, वो इस सरकार में लुढ़क कर 5.6 % पर क्यों पहुँच गया?
    जब से मोदी सरकार बनी है, तब से बस बड़े-बड़े सपने दिखाने का काम हो रहा है। नाम बदल बदल कर योजनाएँ लाई जाती है। लेकिन ये नहीं बताया जाता कि पुराने वादों का क्या हुआ? जो नये सपनों दिखाए जा रहे, वो कैसे पूरे होगा? दरअसल किसी भी बजट के दो काम होते है: एक पिछले साल का ब्योरा होता है और दूसरा आने वाले साल के लिए विज़न होता है। इस बजट में ये दोनों ही चीजें नदारद थी।
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