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कुमाऊँ

यथा शिखा मयूराणां, नागानां मणयो यथा, तद् वेदांगशास्त्राणां,गणितं मूर्ध्नि वर्तते”॥

जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे ऊपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे,ज्ञान में गणित का स्थान सबसे ऊपर है।

गणित से प्यार व नई शिक्षा नीति।

बागेश्वरl ज्ञान की सभी शाखाओं में पुरातन से अद्यतन तक गणित का स्थान सर्वोच्च रहा है। विज्ञान की कोई भी शाखा गणित के प्रयोग, अनुप्रयोग के बिना अधूरा है, अव्याख्यित है। गणित विज्ञान की जननी है और विज्ञान आज के समय की जरूरत बन चुका है। हम किसी ना किसी प्रकार इससे संबंधित रहते हैं। ये अलग बात है कि हम इस ज्ञान को जानते है अथवा नही जानते हैं। लेकिन प्रयोग/अनुप्रयोग, गाहे-बगाहे सभी करते है। विज्ञान की अनुपस्थिति जीवन की कल्पना करने से भी डराती है। आदि काल से ही हमारे मनीषियों, ऋषियोँ, ग्रन्थों, वेंदो में ये ज्ञान ही था जिससे हम ज्ञान के क्षेत्र में सिरमौर थे और विश्व मे हमारा स्थान उच्च था। विश्व गुरु का ये सफर इतिहास में पिछे धकेला गया। काम हमारे थे पर उस पर मोहर कोई और लगाते गए। यूं कहें हमें गैरों ने नही अपनों ने लूटा, गलत नही होगा।
देव बाणी संस्कृत भाषा में हज़ारों ऐसे सूत्र है जो हमे गणित में गुरु होने का एहसास दिलाते हैं।
ऋग्वेद में π का मान ३२ अंक तक शुद्ध है।
ब्रह्मगुप्त,आर्यभट्ट, लीलावती,श्रीधराचार्य,रामनुजम ने अपने गणितीय ज्ञान भारत का परिचय दुनिया से कराया।
संस्कृत ग्रंथो में केवल पूजा पाठ या आरती के मंत्र नहीं है बल्कि तमाम विज्ञान भरा पड़ा है। दुर्भाग्य से कालांतर में व विदेशी आक्रांताओं के चलते संस्कृत का ह्रास होने के कारण हमारे पूर्वजों के ज्ञान का भावी पीढ़ी द्वारा विस्तार नहीं हो पाया और बहुत से ग्रंथ आक्रांताओं द्वारा नष्ट भ्रष्ट कर दिए गए ।
नई शिक्षा नीति भारत को गणित के प्रति अपने प्यार को फिर से हासिल करने में मदद करेगी। बच्चों को इस शिक्षा नीति में कौशलपूर्ण बनाने में बात कही गयी है। जिसमें प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा, प्रशिक्षण, शोध,अन्वेषण आदि में गणित की उपयोगिता सीधे अथवा अप्रत्यक्ष रूप से रेखांकित की गयीं हैं। प्रत्येक वर्ष
22 दिसंबर राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत के महान गणितज्ञ आचार्य रामानुजम के जन्म दिन के अवसर पर एक बार पुनः हम गणितीय विज्ञान के विखरे ज्ञान, अनुभव को एकत्रित कर एक शक्ति पुंज के रूप में प्रयोग करते हैं। क्योंकि गणित के अनुप्रयोग व्यापक और विविध हैं, बहु-विषयक पाठ्यक्रम और क्रेडिट-आधारित तंत्र की शुरुआत करके, एनईपी छात्रों को अपने ज्ञान को लागू करने के लिए लचीलापन प्रदान करता है।
संख्याएँ मानव जाति के सबसे नवीन विचारों में से एक हैं। वे हमारे दैनिक जीवन को सुविधाजनक और सीधा बनाते हैं। कल्पना कीजिए कि यदि संख्याएँ न हों, तो विभिन्न मापदंडों को मापना, गिनना, पहुँचना, रिकॉर्ड करना और मात्रा निर्धारित करना कितना कठिन होता। ज्ञान की वह शाखा जो संख्याओं के अध्ययन से संबंधित है, अर्थात, गणित सबसे विशिष्ट विषयों में से एक है जिसमें “शून्य से अनंत” तक के अनुप्रयोगों की “निरंतरता” है। कभी-कभी यह “अराजकता” और “स्थिरता” के बीच “अंतर” करता है, कभी-कभी यह ज्ञान के विभिन्न विषयों को “एकीकृत” करता है। यह हमें सत्य की “सीमाओं” तक ले जाता है और विशेषज्ञता के विभिन्न “आयामों” को समाहित करता है। यह “जटिल” चीजों को “वास्तविक” बनाता है और हमें “खेल” और “संभावना” की धारणाओं से आकर्षित करता है।
गणित से ही विज्ञानं का जन्म हुआ है। गणित के बिना जीवन अधूरा है , क्योंकि गणित ही एकमात्र ऐसा आवश्यक माध्यम है जो जीवन के हर पहलुओं को प्रतिच्छेद करता हैं। दुनिया का कोई भी ऐसा विषय नहीं है जैसे अंग्रेजी, हिंदी , इतिहास, नागरिक शास्त्र , आदि कोई भी ,किसी भी क्षेत्र में जहाँ पर अंक और संख्याएँ किसी भी रूप में उपयोग न होते हों , वह कोई भी क्ष्रेत्र इसके बिना अछूता नहीं है , मानव , जीव जंतु, मूर्त अमूर्त के जन्म से मृत्यु तक यह किसी न किसी रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
गणित ही प्रथमतया व्यवहारिक विषय है जिसमें पूर्ण रूप से सटीकता और शुद्धता है , जिसके दो पहलूं हैं हां या नहीं । कही कही पर कुछ अपवाद हो सकता है। यह सत्य और वास्तविक है, यह एक मात्र ऐसा विषय है जिससे ज्ञानार्थी में तर्कशक्ति का विकास होता है , जिससे ज्ञानार्थी जीवन के हर क्षेत्र में सटीक और संतोषजनक जिम्मेदारी का निर्वहन कर सकता है। आज इंटरनेट और विज्ञानं का युग है, दैनिक जीवन में हम कंप्यूटर, लैपटॉप,, कैलकुलेटर, मोबाइल और अन्य उपकरण का प्रयोग करते हैं , ऐसा कोई उपकरण ही नहीं है जो बिना अंक और संख्या का उपयोग होता है, और इनको खोजने का आधार भले ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी है जिसकी सत्यता गणित ही करता हैं। मापन, आंकना और गड़ना बिना अंकों संख्यायों के नहीं हुआ है, आज कई प्रकार के रक्षा उपकरण युद्ध उपकरण, मिसाइल, उपग्रह, चिकित्सा के क्षेत्र में कई उपकरण , रसायन, ज्योतिष , खगोल शास्त्र आदि कोई भी उपकरण, तकनीकी , भौतिक या अभौतिक कुछ भी हो बिना फार्मूला या सिद्धान्त के नहीं बने हैं , जिनका अंतिम हल गणित के उपकरण ही एक अंतिम और सटीक दिशा देते हैं।
यह एक ऐसा विषय है जो असीमित रूप से सोचने और समझने की क्षमता बढ़ाता है। आंकना, मापना और गढ़ना के बिना हर चीज का मूल्यांकन शुद्ध और व्यवहारिक रूप से अधूरा है , जिसे एकमात्र गणित ही पूर्ण करता है।

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