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आध्यात्मिक

नवरात्रि-घट स्थापना करने की सही विधि, सामग्री, मुहूर्त

गुरुवार आज से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ है इस दिन कलश स्थापना या घटस्थापना के साथ ही मां दुर्गा की पूजा प्रारंभ होती है।

आज आप प्रात:काल में 6:17 बजे से सुबह 7:10 बजे के मध्य नवरात्रि कलश स्थापना कर सकते हैं।

अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना करें, यह सर्वोत्तम मुहूर्त होता है.
अभिजित मुहूर्त दिन में 11:37 बजे से दोपहर 12:23 बजे तक है।
इसके अलावा 9:25 से 11: 43 तक स्थिर लग्न भी घट स्थापना करना बहुत ही शुभ और लाभकारी रहेगा।

कलश स्थापना विधि और सामग्री

नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए लाल रंग का आसन, मां भगवती की अष्टधातु की मूर्ति, फोटो फ्रेम, माता की चुनरी वस्त्र आदि, मिट्टी का घड़ा या कलश, जौ, शुद्ध मिट्टी, मौली कलावा, कपूर, रोली, हरी इलायची, लौंग, साबुत सुपारी, अक्षत्, अशोक या आम के पांच पत्ते, दुर्वांकुर, चांदी के सिक्के, लाल चुनरी, सिंदूर, नारियल, फल-फूल, श्रृंगार पिटारी और फूलों की माला अखंड ज्योत के लिए दीपक शुद्ध देसी घी कलावा बाती.
जाप करने के लिए माला

घट स्थापना की सही विधि

प्रात: स्नानादि से निवृत हो कर अपने घर परिवार की सुख शांति के लिए 9 दिन के व्रत का संकल्प किया जाता है।
व्रत का संकल्प लेने के पश्चात ब्राह्मण द्वारा या स्वयं ही कलश स्थापना की जाती है, कलश लेकर उसमे पूर्ण रूप से जल एवं गंगाजल भर कर कलश के ऊपर नारियल को लाल वस्त्र/चुनरी से लपेट कर अशोक वृक्ष या आम के पाँच पत्तो सहित रखना चाहिए।

सबसे पहले जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र लें। इस पात्र में मिट्टी की एक परत बिछाएं अब एक परत जौ की बिछाएं इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं अब फिर एक परत जौ की बिछाएं जौ के बीच चारों तरफ बिछाएं ताकि जौ कलश के नीचे न दबे इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं अब कलश के कंठ पर मोली बाँध दें अब कलश में गंगाजल मिश्रित शुद्ध जल कंठ तक भर दें कलश में साबुत सुपारी, लौंग का एक जोड़ा, हल्दी की गांठ, दूर्वांकुर, अक्षत, चांदी का सिक्का डालें कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते रख दें अब कलश का मुख ढक्कन से बंद कर दें ढक्कन में चावल भर दें और कलश के ऊपर भी कुछ सिक्के भी रख दें नारियल पर लाल कपड़ा, मोली लपेट दें अब नारियल को कलश पर रखें अब कलश को उठाकर जौ के पात्र में बीचो बीच रख दें अब कलश में सभी देवी देवताओं का आवाहन करें स्थापित कलश में सबसे पहले गणेश गौरी का आवाहन और पूजन करें फिर वरूण देव, नवग्रह मंडल, मां भगवती का आह्वान कर पूजन करना चाहिए और प्रार्थना करें कि हे सभी देवी देवता और माँ दुर्गा आप सभी नौ दिनों के लिए इस में पधारें”
अब दीपक जलाकर कलश का पूजन करें धूपबत्ती कलश को दिखाएं कलश को माला अर्पित करें कलश को फल, फूल मिठाई आदि अर्पित करें।

कलश स्थापना के बाद माँ दुर्गा की चौकी स्थापित की जाती है

नवरात्री के प्रथम दिन एक लकड़ी की चौकी की स्थापना करनी चाहिए इसको गंगाजल से पवित्र करके इसके ऊपर सुन्दर लाल वस्त्र बिछाना चाहिए कलश को अपने बायीं ओर ईशान कोण में रखें, अखंड ज्योत को दाईं ओर अग्नि कोण में रखना चाहिए उसके बाद माँ भगवती की धातु की मूर्ति अथवा नवदुर्गा का फ्रेम किया हुआ फोटो स्थापित करना चाहिए माँ दुर्गा को लाल चुनरी उढ़ायें अब माँ दुर्गा से प्रार्थना करें कि “हे माँ दुर्गा आप नौ दिन के लिए इस चौकी पर विराजिये” उसके बाद सबसे पहले माँ को दीपक दिखाइए उसके बाद कुमकुम अक्षत फूल माला धूप,दीप इत्र, नैवेद्य समर्पित करें ऋतु के अनुसार फल, मिठाई अर्पित करें
इसके बाद शांति से बैठ कर नवार्ण मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै की एक माला का जाप करें दुर्गा सप्शती का पाठ अवश्य करें।
मां भगवती के निमित्त स्तोत्र,
चालीसा आदि का पाठ भी श्रृद्धा पूर्वक करें। मां भगवती आप सभी का कल्याण करें सभी सुखी रहें स्वस्थ रहें..

नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं के साथ…..

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