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उत्तराखण्ड

सरकार के दावों की पोल खोलती तस्वीरें, कैसे हटेगी गरीबी….

रिपोर्ट – शंकर फुलारा

हल्द्वानी। गरीबी मिटाने के लिए सरकार द्वारा खूब दावे किए जाते हैं परंतु आज भी एक तिहाई जनता गरीबी का दंश झेल रही है छोटे-छोटे दो-तीन बच्चे अपनी भूख मिटाने के लिए कूड़ा बीन कर पेट भरने को मजबूर हैं।

यह तस्वीर सुबह ठंड में नन्हे बच्चे जिन्हें अपना नाम पिंकू रमन सोनू बताया तीनों को जब संवाददाता द्वारा चाय समोसा दिया गया तो उनकी आंखों में आंसू आ गए बोले अंकल कई दिनों से भूखे हैं खाना मिलेगा नहीं मिलेगा कोई गारंटी नहीं है आज तो आपने खिला दिया लेकिन कल क्या खाएंगे कोई पता नहीं।

सरकारों द्वारा गरीबों की मदद के लिए खूब दावे किए जाते हैं लेकिन जरूरतमंदों तक कभी मदद नहीं पहुंच पाती। तमाम समाजसेवी भी अपनी खानापूर्ति के लिए समाज सेवा का ढिंढोरा पीटते हैं लेकिन सरकार के नुमाइंदों और समाजसेवियों का काम तस्वीरें खींचकर सोशल मीडिया तक ही सीमित है।

यह छोटे से बच्चे स्कूल पढ़ने की उम्र में कूड़ा बीनने और कुछ अन्य बच्चे भीख मांग कर अपना गुजारा कर रहे हैं इनकी पढ़ने की उम्र है। लेकिन पेट भरने की मजबूरी है, जिनको अभी से दो वक्त की रोटी के जुगाड़ के लिए।

सुबह से लेकर शाम तक पूरा दिन कुडा बीनकर और भीख मांग कर गुजारा करना पड़ा है। बड़ा दुख होता है जब इन छोटे से बच्चों को लिखने पढ़ने और खेलने कूदने की उम्र में अपने लिए और अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने के लिए कुड़ा बीन कर काम चलाना पड़ रहा है।

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