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कुमाऊँ

कविता- माँ का प्यार

माँ का प्यार

वह थी,
एक कोने में खड़ी,
पकड़े हाथ में छड़ी।

उसने मेरी तरफ कदम बड़ाये,
और मेरे कान में एक गाना गाया।

फिर कहने लगी-
बेटा सो जा
रात बहुत हो चुकी है,
नदियाँ अपने बहाव में खो चूकी हैं।

मैने कहा पहले तू सो जा माँ
अपने मीठे सपनो में खो जा माँ

उसने मुझसे कहा तेरी नीद में मेरी नीद छुपी है,
कारण तेरे ही मेरी नीद खुली हैं।

यह सुनकर मै तुरंत सो गया,
और अपने मीठे सपनो में खो गया।

फिर वह दुआ करने लगी कि
उसका बच्चा हमेशा खुश रहे,

और उसके बच्चे के दुख उसकी माँ के आंसू बनकर बहे।

यह कहने के बाद वह सो गयी,
और वह भी अपने मीठे- मीठे सपनो में खो गयी।

माँ का आदर करो वरना पछताओगे,

आदर नहीं किया तो
जग से हार जाओगे।

     - प्रियांशु पाठक
        कक्षा-9
 हिमालयन इंटर कॉलेज,चौकोड़ी (लछिमा)पिथौरागढ़
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