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कुमाऊँ

सतीश ने बताई परिवार की व्यथा, कहा हमेशा प्रशान्त के परिवार के साथ रहेंगे खड़ा

उत्तराखंड में कोरोना का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। जिसकी वजह से आए दिन किसी न किसी की मौत की खबर सामने आती जा रही है। कोरोना वायरस की चपेट में आने से हर रोज कई मीडिया कर्मियों की जान जा चुकी है। बता दे कि कुछ दिन पहले नैनीताल के वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत दीक्षित का कोरोना संक्रमित होने की वजह से निधन हो गया था। उनकी मौत से मीडिया जगत में शोक छा गया। लोग हैरान है। बीते दिवस एक और युवा पत्रकार राहुल जोशी ने भी दम तोड़ दिया। एक दैनिक व साप्ताहिक अखबार से जुड़े कम्प्यूटर ऑपरेटर कुंदन सिंह राणा की मौत भी कोरोना से ही हुई।

पत्रकार स्वर्गीय प्रशान्त दीक्षित के बारे में बताया गया कि कुछ साल पहले उनके जीजा महेंद्र प्रकाश भट्ट की अचानक मृत्यु और बहन की कैंसर से मौत के बाद, उन्होंने अपने परिवार के साथ अपनी बहन के बच्चों को पालने की सारी जिम्मेदारी निभाई थी, बहन के पूरे परिवार का लालन-पालन किया,मामले में खोजबीन की गई तो प्रशांत के स्वर्गीय जीजा महेंद्र प्रकाश भट्ट के छोटे भाई वरिष्ठ समाजसेवी सतीश भट्ट ने बताया प्रशांत दिक्षित जो कि दैनिक आज समाचार पत्र से जुड़े हुए थे, उनकी मौत से एक परिवार समाज के लिए बहुत बड़ी जनहानि हुई है। इसी के साथ उन्होंने प्रशांत दीक्षित के जीवन के बारे में कुछ बातें साझा की।

बता दें कि प्रशांत की शिक्षा चेतराम शाह इंटर कॉलेज नैनीताल मैं हुई थी जिसके बाद प्रशांत ने व्यवसाय के लिए कानपुर को चुना, लेकिन प्रशांत दीक्षित के जीजा स्वर्गीय महेंद्र प्रकाश भट्ट ने कुछ समय बाद प्रशांत को नैनीताल में ही काम करने के लिए प्रेरित किया, और आपको बता दें कि मैं इंद्र प्रकाश भट्ट शुरू से ही बहुत समाजसेवी और सज्जन इंसान थे और नैनीताल के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में जाने जाते थे, और महेंद्र प्रकाश भट्ट के इसी आचरण से प्रभावित होकर प्रशांत ने भी समाज सेवा करने का संकल्प लिया फिर वह मीडिया से जुड़ गए, उन्होंने अपने जीवन में काफी समाज सेवा की। सतीश भट्ट ने बताया उनके बड़े भाई ने भी बहुत समाज सेवा की। वह कुमाऊँ मंडल विकास निगम में एजुकेटिव इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। महेंद्र प्रकाश भट्ट ने अपने जीवन काल में केएमवीएन में कार्यरत होने के साथ भी कई लोगों की मदद की और उन्होंने कई लोगों की नौकरी से संबंधित मदद भी की।

सतीश ने बताया उनकी भाभी स्वर्गीय ममता भट्ट घाट प्राइमरी स्कूल पिथौरागढ़ में अध्यापिका थी और वह काफी शांत और सरल स्वभाव की थी साथ ही वह अपने जीवन में हर एक व्यक्ति की मदद करने वाली थी। उन्होंने नम आंखों के साथ बताया कि उनके बड़े भाई की आकस्मिक मृत्यु वर्ष 2014 मे अल्मोड़ा के लोधिया के एक रेस्टोरेंट में हुई। जिसके बाद कुछ अज्ञात लोगों ने उनके बड़े भाई स्वर्गीय महेंद्र प्रकाश भट्ट के शव को अपनी निजी गाड़ी में डालकर पुलिस चौकी के सामने छोड़ गए । पुलिस कर्मियों के द्वारा महेंद्र प्रकाश भट्ट की मृत्यु के बारे में उनके परिवार जन को बताया। सतीश भट्ट ने यह भी बताया कि उनके बड़े भाई की मृत्यु से पहले वह सेराघाट में अपनी एफडी का पैसा निकालने गए थे लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनकी पास किसी भी तरह से पैसे की कोई जानकारी उनके परिवारजनों तक नहीं पहुंच पाई और उनके बड़े भाई की मृत्यु के 1 महीने के बाद सतीश भट्ट और उनके परिवार जनों को उनकी भाभी स्वर्गीय ममता भट्ट के कैंसर पीड़ित होने का पता चला। जिसके बाद ममता भट्ट ने अपने जीवन में कैंसर पीड़ित होने के साथ काफी लंबे समय तक कैंसर से लड़ाई लड़ी और जून 2017 को वह भी कैंसर से अपने जीवन की लड़ाई हार गई और उनकी मृत्यु हो गई। फिर आगे सतीश ने बताया कि उनके बड़े भाई और भाभी की मौत के बाद बच्चों की जिम्मेदारी उनकी दादी ने उठाई, और उनकी आय के साधन उनकी दादी की पेंशन एवं व्यवसाय के तौर पर होटल है जिससे उनके परिवार की आजीविका चलती रही।

स्वर्गीय महेंद्र प्रकाश भट्ट के मयंक और कमल दो बेटे है और दोनों बेटे अपनी दादी के साथ ही रहते हैं उनके बड़े बेटे का नाम मयंक भट्ट जो कि पुणे के लॉ कॉलेज से मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रहा है और 2018 में कमल भट्ट भी अपनी मां की जगह शिक्षा विभाग में क्लर्क की पोस्ट पर लग गया, साथ ही उन्होंने बताया कि उनके पिता पशुपालन विभाग के रिटायर्ड अकाउंट ऑफिसर थे और वह अपने बड़े बेटे की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाए और उनकी भी मौत दिल का दौरा पड़ने की वजह से हो गई थी, इतना सब होने के बाद भी परिवार को एक सूत्र में बांधने की जिम्मेदारी स्वर्गीय महेंद्र प्रकाश भट्ट के माता के ऊपर आ गई जो अभी भी अपनी इस जिम्मेदारी को काफी अच्छे से निभा रही है, जिसके बाद सतीश भट्ट ने एक भेंट में कहा कि हम किसी भी प्रकार से किसी भी व्यक्ति का अनादर या फिर उसकी अवहेलना नहीं कर रहे हैं। बस हम अपने परिवार के प्रति जो हमारी जिम्मेदारियां है, उसका हमेशा से निर्वहन करते आ रहे हैं लेकिन एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र के माध्यम से जिस प्रकार से किसी एक व्यक्ति विशेष को इस प्रकार से दर्शाए गए कि उन्होंने अपना पूरा जीवन हमारे परिवार और अन्य लोगों के लिए समर्पित कर दिया यह तो पूर्ण सत्य नहीं है. और इसी में सतीश भट्ट ने आगे कहा कि हम समाज में किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति के मान सम्मान को क्षति पहुंचाना नहीं चाहते हैं बस हम इतना ही आग्रह करते हैं कि किसी भी व्यक्ति विशेष के जीवन के बारे में पूर्ण जानकारी होने के बाद ही उसके जीवन के बारे में जानकारियां समाज के लोगों के सामने रखनी चाहिए। क्योंकि आप जिस फील्ड से हैं उस फील्ड में आपके द्वारा लिखी गई एक खबर या फिर जानकारी से आपको कोई फर्क पड़े या ना पड़े लेकिन दूसरे व्यक्ति के जीवन पर आपके द्वारा लिखी गई एक खबर का बहुत प्रभाव पड़ेगा।

श्री भट्ट ने कहा एक व्यक्ति विशेष के द्वारा लिखी गई खबर के ऊपर काफी सवाल खड़े हो गए हैं, उन्होंने पत्रकार प्रशांत दीक्षित की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया और कहा कि कुछ दिनों पहले वह कोरोना की चपेट में आ गए जिसके बाद उनका उपचार बीडी पांडे नैनीताल,फिर नीलकंठ अस्पताल हल्द्वानी व सुशीला तिवारी अस्पताल में चल रहा था लेकिन हल्द्वानी सुशीला तिवारी में ही उन्होंने अपनी अंतिम सांसे ली।

सतीश ने बताया कि इस समय वह, उनके भतीजे, और कई पत्रकार बंधु व कई प्रतिष्ठित व्यक्ति, मित्र , सभी लोग अपने अपने स्तर से प्रशांत को बराबर समय दे रहे थे। उनका उपचार भी संतोषजनक चल रहा था। सभी लोग हर संभव प्रयास कर रहे थे, लेकिन मुझे लगता है विषम परिस्थिति में मनोबल काफी टूट जाता है। उन्होंने कहा मैं लोगों का बहुत आभार व्यक्त करता हूं, सुशीला तिवारी के सभी डॉक्टर्स समस्त कर्मचारियों का आभार, सतीश ने बताया कि सभी डॉक्टर्स व स्टाफ की ओर से शत प्रतिशत योगदान दिया गया, आज के वरिष्ठ पत्रकार प्रभारी दिनेश जोशी व बीडी पांडे में कार्यरत राणा जी का विशेष आभार व्यक्त किया। सतीश ने बताया कि वह स्वयं और उनके भतीजे कमल, मयंक और सभी परिवार के सदस्य प्रशांत जी के संग पूरा पारिवारिक संबंध बनाकर रखेंगे एवं सदैव इस जन हानि को पूर्ण करने के लिए प्रयत्नशील रहेंगे।सतीश की ओर से समाज के लिए भी अपील की गई उन्होंने बताया कोरोना संक्रमण सारे समाज से दोस्ती करना चाहता है ऐसा दोस्त अच्छा नहीं होता। यह बहुत दुराचारी है इस से दूरी बनाकर रखें।विपरीत परिस्थितियों में भी संयम रखें,संक्रमण होने की अवस्था में अपने डॉक्टर्स व हॉस्पिटल के समस्त कर्मचारियों पर विश्वास रखें, और यह मानकर चलें कि वह हमसे ज्यादा जानते हैं और जो कुछ भी करेंगे हमारे अच्छे के लिए ही करेंगे।सुशीला तिवारी हॉस्पिटल के बारे में उन्होंने अपना अनुभव बताया उनके द्वारा यहां पर कोई भी अनियमितता नहीं है, सारे कार्य सुचारू रूप से हो रहे हैं सारे कर्मचारी, डॉक्टर अपना पूर्ण योगदान दे रहे हैं, समय समय पर पूरी जानकारी मरीज के बारे में दी जा रही है यथासंभव सभी नियमों को ध्यान में रखते हुए मरीज से भी मिलाया जा रहा है। उनके द्वारा विषम परिस्थितियों में भी समाज ,पत्रकार बंधु ,व प्रशासन का आभार व्यक्त किया गया ।

रिपोर्ट-अंकुर सक्सेना

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