उत्तराखण्ड
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में किया गया सेमीनार का आयोजन
देहरादून। उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय में आज दिनांक 20 दिसम्बर 2022 को इतिहास विभाग, समाज विज्ञान विद्याशाखा द्वारा ‘‘21st Century Challenges and Education: A global Perspective” विषय पर एक व्याख्यान आयोजित गया। यह व्याख्यान प्रोफेसर डी.डी. तिवारी, यूनीवर्सिटी ऑफ ज़ूलुलैण्ड, साउथ अफ्रीका द्वारा दिया गया।
प्रोफेसर तिवारी ने कहा कि शिक्षा पूरी दुनिया को बदलने का सबसे सशक्त हथियार है। किसी भी समस्या के सामाजिक-आर्थिक रूपांतरण के लिये आवश्यक है कि शिक्षा अग्रगामी, गतिशील और समाजोन्मुखी हो। मनुष्य की प्रगति पाषाण युग से लेकर आज तक जिसे हम प्लेटेनरी युग कह रहे हैं, चार स्पष्ट चरणों में दिखाई देती है।
आज पूरी दुनिया में शिक्षा के 12 मॉडल प्रचलन में हैं। ये मॉडल अलग-अलग तरह के कौशलों पर आधारित हैं। चाहे वह सामान्य स्किल हो या फिर प्रशासनिक, रिसर्च, व्यापर और वित्तीय प्रबन्धन से जुड़ी स्किल ही क्यों न हो। किसी भी समय को अपने नागरिकों में इन स्किल्स को विकसित करना चाहिये।
दक्षिण अफ्रिका मे शिक्षा अभी उस स्तर पर नहीं पहुंच पाई है जहॉ पर मनुष्य के उद्विकास और और क्षमताओं का सही आंकलन किया जा सके। समग्र शिक्षा को मानवीय पूंजी, नैतिक पूंजी सामाजिक पूंजी और वरिष्ठ नागरिकों के रुप में उपलब्ध पूंजी को विकसित करने वाला होना चाहिए। शिक्षा को ऐसा होना चाहिए जो मानवीय पूंजी के बीच पैदा रिक्तता को भर सके। तभी 21 वीं शदाब्दी की चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।
कुलपति प्रोफेसर ओ.पी.एस. नेगी ने विद्वान प्रोफेसर का स्वागत करते हुए कहा कि साउथ अफ्रीका के साथ भारत के एंतिहासिक काल से संबंध रहे हैं और प्रोफेसर डी.डी. तिवारी के व्याख्यान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनेक तत्व निहित हैं। प्रोफेसर गिरिजा पाण्डे ने प्रोफेसर डी.डी. तिवारी के व्याख्यान के महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर अपने विचार रखे। प्रोफेसर आर.सी. मिश्र ने शिक्षा के संबंध में प्रोफेसर डी.डी. तिवारी के विचारों से सहमति व्यक्त की।
प्रश्नोत्तर सत्र में श्री भूपेन सिंह, डॉ. शालिनी चौधरी , डॉ. भाग्यश्री जोशी एवं श्री शुभांकर शुक्ला ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. एम.एम.जोशी एवं धन्यवाद प्रस्ताव प्रोफेसर गिरिजा पाण्डे द्वारा दिया गया।