उत्तराखण्ड
यूओयू में संविधान दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन
हल्द्वानी। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में शनिवार को भारतीय संविधान दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशानुसार 19 नवंबर 2015 को घोषणा की गई थी कि 26 नवंबर को भारतीय संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाएगा। इसी के चलते भारतीय संविधान दिवस के लिये यूसीजी द्वारा ‘भारत लोकतंत्र की जननी,विषय पर संगोष्ठी निर्धारित की गई। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि प्रोफेसर के सी जोशी पूर्व कुलपति कुमाऊं विश्वविद्यालय तथा विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर प्रीति सक्सेना भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ एवं प्रोफेसर एमडी शर्मा, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा मौजूद रहे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा भारत के संदर्भ में लोकतंत्र के ऐतिहासिक पक्ष पर व्याख्यान दिया गया।
उन्होंने कहा लोकतंत्र में लोगों के मत से लोकतंत्र बनता या बिगड़ता है, विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर आर डी शर्मा द्वारा अपने वक्तव्य में भारत को लोकतंत्र की जननी बताते हुए वैदिक काल से भारत में चली आ रही लोकतांत्रिक परंपरा पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने हड़प्पा सभ्यता और महाभारत का उल्लेख करते हुए अर्थ नारीश्वर की संकल्पना के साथ-साथ प्रस्तावना में समाहित मूल्यों पर भी अपनी बात रखी। इस दौरान विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर प्रीति शर्मा ने अब्राहम लिंकन की दी हुई लोकतंत्र की परिभाषा से अपनी बात शुरू करते हुए प्रस्तावना में वर्णित लोकतंत्रात्मक गणराज्य की संकल्पना पर बात की।
संगोष्ठी की अध्यक्षता उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर ओ पी एस नेगी द्वारा की गई। कुलपति ने अपने उद्बोधन में शैक्षिक संस्थानों में लोकतंत्रात्मकता के साथ शिष्टता की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही संविधान में डा० भीमराव अम्बेडकर के योगदान पर भी अपनी बात रखी। कार्यक्रम में प्रोफ़ेसर पी०डी० पंत द्वारा सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया। इस दौरान कार्यक्रम संयोजक के तौर पर प्रो० ए० के० नवीन द्वारा उपस्थित गणमान्य अतिथियों के साथ ही अन्य सदस्यों द्वारा संविधान की प्रस्तावना की शपथ दिलायी गयी। आयोजक मंडल में डा० घनश्याम जोशी , डा० दिपांकुर जोशी , डा०लता जोशी , आरुषि , शुभांकर शुक्ला , सुमित , प्रमोद आदि मौजूद रहे। तकनीकी सहयोग आईटी सेल के राजेश आर्य द्वारा किया गया। ।