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उत्तराखण्ड

राज्य की तीनों कम्युनिस्ट पार्टियों भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) की संयुक्त बैठक देहरादून में हुई सम्पन्न

राज्य की तीनों कम्युनिस्ट पार्टियों भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) की संयुक्त बैठक देहरादून में हुई। बैठक में राज्य में सत्ता और आरएसएस के सरंक्षण में सचेत तरीके से सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों से घर दुकान खाली कराने की घटनाओं में हल्द्वानी क्षेत्र समेत पूरे राज्य में हो रही तीव्र वृद्धि पर चिंता व्यक्त करते हुए राज्य के पुलिस प्रशासन के समानांतर कुछ संगठनों और व्यक्तियों द्वारा गैर कानूनी तरीके से अल्पसंख्यक समुदाय को डराने धमकाने पर रोक लगाने की मांग उठाई गई। यह जानकारी भाकपा माले के नैनीताल जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय ने दी। उन्होंने बताया कि सभी कम्युनिस्ट पार्टियों इस मुद्दे और राज्य के विभिन्न सवालों पर एकताबद्ध तरीके से अभियान संचालित करेंगी। इसी क्रम में 18 जून को वामपंथी पार्टियों का वेबिनार होगा और 20 जून को सभी जिला मुख्यालयों व राज्य के प्रमुख केंद्रों पर वामपंथी पार्टियां संयुक्त प्रदर्शन करेंगे। इसके पश्चात भी संयुक्त अभियान और जन कार्यवाहियां जारी रहेंगी।

बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किए गए:

तीनों वामपंथी पार्टियां- भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) उत्तराखंड में पुरोला और अन्य जगहों पर सचेत तरीके से सांप्रदायिक घृणा और उन्माद की घटनाओं की तीव्र भर्त्सना करती हैं.
यह अफसोसजनक है कि सांप्रदायिक उन्माद पर प्रभावी तरीके से रोक लगाने के बजाय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, उन्माद को हवा देने में लगे हुए हैं.
लैंड जेहाद और लव जेहाद जैसी असंवैधानिक शब्दावली का निरंतर प्रयोग करके मुख्यमंत्री ने स्वयं सांप्रदायिक उन्माद के प्रचारक की भूमिका ग्रहण कर ली है. पुरोला में सांप्रदायिक तनाव के दौरान वे दो मौकों पर उत्तरकाशी जिले में थे. लेकिन वहाँ रहने के दौरान एक भी बार उन्होंने न तो शांति की अपील की और न ही कानून हाथ में लेने वालों की खिलाफ कार्यवाही की बात कही.

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04 फरवरी 2020 में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी.किशन रेड्डी ने लोकसभा में लिखित जवाब दिया कि लव जेहाद कानूनी रूप से परिभाषित नहीं है. केंद्रीय एजेंसियों ने लव जेहाद का कोई मामला रिपोर्ट नहीं किया है.

देश में 2011 से कोई जनगणना नहीं हुई है तो मुख्यमंत्री के पास कौन सा आंकड़ा है, जिसके आधार पर वे डेमोग्राफी में बदलाव जैसी असंवैधानिक शब्दावली का प्रयोग कर रहे हैं ?

लैंड जेहाद जैसी शब्दावली भी असंवैधानिक और गैर कानूनी है. यह उस सरकार का मुखिया प्रयोग कर रहा है जिन्होंने स्वयं प्रदेश में ज़मीनों की असीमित बिक्री का कानून बनाया


बहुसंख्यक हिंदुओं में अल्पसंख्यकों के प्रति डर और घृणा का भाव भरा जा रहा है. इसके पीछे असल मकसद धुर्वीकरण करके वोटों की फसल बटोरना है.
अल्पसंख्यकों को जिस तरह घर-दुकान खाली करने के लिए आर एस एस समर्थित सांप्रदायिक समूहों द्वारा धमकाया जा रहा है. वह पूरी तरह गैर कानूनी कार्यवाही है. ऐसे समूहों और व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाय ऐसा प्रदर्शित किया जा रहा है, जैसे कि उन्हें प्रशासनिक संरक्षण हासिल हो.
किसी भी तरह के अपराध की रोकथाम और अंकुश लगाने की कार्यवाही कानूनी तरीके से होनी चाहिए. किसी भी स्वयंभू धार्मिक संगठन या व्यक्ति को उसकी आड़ में कानून और संविधान से खिलवाड़ की अनुमति कतई नहीं मिलनी चाहिए.
माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशों के बावजूद उत्तराखंड में पुलिस द्वारा नफरत भरे भाषण देने वालों के खिलाफ कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की जा रही है. राज्य की पुलिस और पुलिस प्रमुख को बताना चाहिए कि उसकी क्या मजबूरी है, जो उसे उच्चतम न्यायालय की अवमानना करने के लिए विवश कर रही है.
हम राज्य के तमाम नागरिकों से अपील करना चाहते हैं कि वे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के इस जेल में न फंसे. इस जाल मे लोगों को फांसने वाले तो इससे लाभ हासिल करेंगे पर आम जन के हिस्से इस से बर्बादी ही आएगी. उत्तराखंड में नौकरियों की लूट, जल-जंगल-जमीन की लूट, स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली, पलायन, जंगली जानवरों का आतंक, पर्वतीय कृषि की तबाही जैसे तमाम सवाल हैं, जो उत्तराखंड की व्यापक जनता के सवाल हैं, जिनके लिए मिल कर संघर्ष करने की आवश्यकता है. इन सवालों का हल करने में नाकाम सत्ता ही लोगों को धर्म के नाम पर बांट कर, इन सवालों पर अपनी असफलता से बच निकलना चाहती है.
समृद्ध- संपन्न उत्तराखंड हमारा मकसद होना चाहिए,धार्मिक उन्माद और घृणा से पस्त और पतित राज्य नहीं.
18 जून को वामपंथी पार्टियों का वेबिनार होगा
20 जून को सभी जिला मुख्यालयों पर वामपंथी पार्टियां प्रदर्शन करेंगे
संयुक्त बैठक में भाकपा राज्य सचिव जगदीश कुलियाल, माकपा राज्य सचिव राजेंद्र नेगी, भाकपा (माले) राज्य सचिव इन्द्रेश मैखुरी के अतिरिक्त सीपीआई के वरिष्ठ नेता समर भंडारी, अशोक शर्मा, रविंद्र जग्गी, सीपीआईएम के शिव प्रसाद देवली, इंदु नौडियाल, राजेंद्र पुरोहित, अनंत आकाश, सीपीआईएमएल के केके बोरा, डा कैलाश पांडेय शामिल रहे।

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