Connect with us
Breaking news at Parvat Prerna

उत्तराखण्ड

पीएमओ तक पहुँच गई इस गांव की आवाज, जल्दी होगा एक्शन

देहरादून। उत्तराखंड में बातें बड़ी-बड़ी होती रहती हैं, घोषणाओं की तो फिर पूछिए मत, सही मायने में कहें तो यहां दीप तले अंधेरा वाली कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है। राजधानी देहरादून से मात्र 25 किमी दूर स्थित बड़कोट गांव की आवाज आखिरकार पीएमओ तक पहुंची ही गई।इस गांव में आज भी सड़क, बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग जूझ रहे हैं। तंग आकर आखिरकार ग्रामीणों ने पीएमओ दफ्तर का दरवाजा खटखटाया। सुविधाओं के अभाव पलायन के चलते गांव में केवल तीन परिवार रहे हैं। ग्रामीणों को उम्मीद है कि पीएमओ दफ्तर से उनकी समस्या के समाधान का रास्ता अवश्य निकल आएगा। देहरादून से महज 25 किलोमीटर दूर स्थित गांव बड़कोट के लोग आज भी बिजली-पानी, सड़क, स्वास्थ्य, परिवहन, शिक्षा जैसी मूलभूत जरूरतों के लिए परेशान हैं। थानों न्याय पंचायत के नाहीकला ग्रामसभा के इन लोगों का यह दर्द काफी पुराना है। यहां न तो बिजली है और न सड़क। पैदल मार्ग भी काफी संकरे हैं। कई परिवार स्वास्थ्य परेशानियों के चलते यहां से पलायन कर गए हैं।
यह क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के विधानसभा में रहा है। यही नहीं इस क्षेत्र के कई सांसद केंद्र सरकार में शिक्षा मंत्री रहे,बावजूद इसके कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता महिपाल सिंह लंबे समय से ग्रामीणों की आवाज उठा रहे हैं, लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं निकला है। आरटीआई कार्यकर्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता अजय कुमार ने बड़कोट की समस्या पीएमओ दफ्तर तक पहुंचाई है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि अब जल्द ही कोई समाधान निकलेगा।

स्कूल की दूरी बच्चों की मजबूरी
गांव में रह रहे तीन परिवारों में भी कुछ के बच्चे छोटे हैं। जिन लोगों के बच्चे बड़े हैं उन्होंने पढ़ाई के लिए बच्चों को रिश्तेदारों के साथ भेज दिया है। गांव के जयराज सिंह (50) को बेटियों को स्कूल भेजने के लिए आधे रास्ते तक खुद छोड़ने जाना पड़ता था। बरसात के दौरान बच्चे लगभग दो तीन महीने स्कूल ही नहीं जा पाते। एक लड़की की शादी हो गई। इसलिए अब उन्होंने मजबूरी में एक बेटी को पढ़ने के लिए थानों अपनी बहन के पास भेज दिया है।

यह भी पढ़ें -  मानवता हुई शर्मसार : यहां नवजात शिशु के साथ किया ऐसा काम की आ जाएगी शर्म, जानिए पूरा मामला

गांव में बिजली नहीं है लोग अंधेरे में रहने को मजबूर हैं। परिवारों को सोलर लाइट दी गई हैं, लेकिन उससे बहुत ज्यादा फायदा नहीं है। रात का कोई बैकअप नहीं। बरसात के दौरान दो-तीन महीने तक यहां सोलर लाइट का भी कोई फायदा नहीं रहता।

ग्रामीणों का कहना है प्रधानमंत्री कार्यालय को इस संबंध में अवगत कराया गया है। उन्हें विश्वास है कि जो काम इतने वर्षों में नहीं हुआ वो अब होगा। पीएमओ कार्यालय में जब भी मामले पहुंचे हैं, उन पर अमल जरूर हुआ है। उम्मीद है कि इसमें भी जल्द कोई साकारात्मक पहल होगी।

यहां खच्चर भी नहीं चल सकते हैं। सड़कें खस्ताहाल हैं। कुछ दिन पहले ही यहां से एक महिला भी स्वास्थ्य कारणों से थानों आ गई। धीरे-धीरे लोग पलायन कर रहे हैं। गांव में कभी 20-25 परिवार रहते थे। आज सिर्फ तीन परिवार ही रह गए हैं। सड़क, बिजली नहीं, शिक्षा, स्वास्थ्य की कोई सुविधा नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ता महिपाल सिंह का कहना है कि कई बार मामला पूर्व मुख्यमंत्रियों और जनप्रतिनिधियों के सामने उठाया गया, लेकिन आज तक कोई ध्यान नहीं दिया गया।

Continue Reading
You may also like...

More in उत्तराखण्ड

Trending News