उत्तराखण्ड
साल बदल रहा है,ये कैलेंडर बता रहा है..
कैलेंडर समय की गणना करने का एक व्यवस्थित साधन है कैलेंडर में हम दिन महीने और साल की गणना करते हैं कैलेंडर में 12 महीने या 365 दिनों की कहानी होती है रोम शासक जुलियस सीजर ने ईसा पूर्व 7 वीं सदी से चले आ रहे रोमन कैलेंडर में सुधार करने पर ध्यान दिया और 46वें ईसा पूर्व में 1 जनवरी से नए साल की शुरुआत की। हर चौथे साल फरवरी में 1 अतिरिक्त दिन जोड़ने का आदेश भी 46वें ईसा पूर्व से ही शुरु की गई थी 1570 में पोप ग्रेगोरी 13वें ने खगोलविद क्रिस्टोफर क्लावियस की मदद से एक नया कैलेंडर तैयार किया जिसे ग्रेगोरियन कैलेंडर कहां गया और 1582 में इसे लागू किया गया,ग्रेगोरियन कैलेंडर जिसे ईसा कैलेंडर कहा जाता है पूरी दुनिया में सर्वमान्य है।
12 माह का 1 साल और 7 दिन का 1 सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से शुरू हुआ। विक्रम संवत की शुरुआत 57 ईसवी पूर्व में हुई । 78 ईस्वी में शक संवत आरंभ हुआ,सितंबर 1752 में 2 सितंबर के बाद अगला दिन 14 सितंबर था,हिंदू कैलेंडर का पहला महीना चैत्र कहलाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार महीनों को 15- 15 दिन के दो भागों में बांटा गया है पहले भाग को शुक्ल पक्ष और दूसरे भाग को कृष्ण पक्ष कहते हैं।
ईसा कैलेंडर के अनुसार सामान्यतया चैत्र की प्रतिपदा 22 मार्च को पड़ती है और लीप वर्ष में 21 मार्च को हिब्रू और इस्लामी कैलेंडर चंद्रमा की गति पर आधारित है।
इस्लामी या हिजरी (अरबी) वर्ष में 12 मास एवं 354 या 355 दिन होते हैं। उत्तर कोरिया ने अपना अलग से कैलेंडर बनाया हुआ है। भारतीय पद्धति में दिन को चार पहर में बांटा गया है इसके साथ ही समय की न्यूनतम इकाई पल होती है। ढाई पलों की एक घटिका और सात घटिका का 1 दिन होता है।
7 दिनों का 1 सप्ताह
30 दिनों का एक माह
12 माह का एक वर्ष
भारतीय पद्धति में चार युग माना गया है सतयुग त्रेतायुग द्वापरयुग और कलयुग।
माया कैलेंडर मेक्सिको से विकसित हुई जिसमे 20-20 दिनों के 18 महीने होते थे और 365 दिन पूरा करने के लिए 5 दिन अतिरिक्त जोड़े जाते थे।भारत की तरह चीन ने भी ग्रेगोरियन कैलेंडर अपना लिया लेकिन फिर भी वहां छुट्टियां त्यौहार और नव वर्ष आदि चीनी कैलेंडर के अनुसार ही मनाए जाते हैं।
जनवरी का नाम रोमन देवता जेनस के नाम पर पड़ा है।फरवरी का संबंध लैटिन के फैबरा से है जिसका अर्थ है शुद्धि की दावत देते थे।
रोमन देवता मार्स के नाम पर मार्च महीने का नामकरण हुआ।
अप्रैल की उत्पत्ति लैटिन शब्द एस्पेरायर से हुई।
मई का नाम रोमन देवता मरकरी की माता मइया के नाम रखा गया।
लैटिन शब्द जेंस के आधार पर जून का नामकरण हुआ।
राजा जूलियस सीजर के नाम पर जुलाई रखा गया।
जूलियस सीजर के भतीजे आगस्टस सीजर के नाम पर अगस्त रखा गया।
रोम में सितंबर को सेप्टेंबर कहा जाता था
लैटिन आक्ट के आधार पर अक्टूबर पड़ा
नवंबर नोवेम्बर से बना
दिसंबर डेसेंबर से बना।
प्रेम प्रकाश उपाध्याय ‘नेचुरल’
(लेखक गणितीय विज्ञान एवं शिक्षण से जुड़े हैं)