उत्तराखण्ड
तीन महीने तक सभी जिलाधिकारियों को सरकार ने दी ये शक्तियां ,आदेश जारी
देहरादून। सरकार की तरफ से अब तक की बड़ी खबर सामने आ रही है। यहां कुछ जिलों में पिछले दिनों हुई हिंसक घटनाओं और कुछ विशेष क्षेत्रों में जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि से जननांकीय परिवर्तन देखने को मिले थे, जिसको लेकर राज्य सरकार गंभीर नजर आ रही है। राज्य के कई जगहों में भी ऐसी घटनाएं होने की संभावना के मद्देनजर सरकार ने रासुका को 3 महीने के लिए बढ़ाया है।
सरकार द्वारा सभी जिलाधिकारियों को 1 अक्टूबर 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक की अवधि के लिए इस अधिनियम की धारा 3 की उपधारा 2 द्वारा प्रदत शक्तियों का प्रयोग करने के लिए सशक्त किया गया है। पिछले दिनों शासन द्वारा जारी एक आदेश में भी प्रदेश में सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने की आशंका जताई गई थी। सीएम पुष्कर सिंह धामी औऱ डीजीपी अशोक कुमार ने सख्त चेतावनी देते हुए ऐसे लोगों पर सख्ती करने के निर्देश दिए थे जिसके बाद आज सरकार द्वारा आज इसको तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया।
बता दें कि बीते दिनों राज्य में बड़ी हलचल की खबर आई थी और सीएम ने डीजीपी, डीएम और जिलों के कप्तानों को स्पेशल जांच के आदेश दिए थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि संज्ञान में आया है कि प्रदेश के कुछ विशेष क्षेत्रों में जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि होने से जननांकीय (डेमोग्राफिक) परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं जिसका कुप्रभाव ‘कतिपय समुदाय के लोगों का उन क्षेत्रों से पलायन’ के रूप में सामने आने लगा है।इस संबंध में चिंता जताते हुए डीजीपी, सभी जिलाधिकारियों और एसएसपी को इस समस्या के निदान के लिए कुछ एहतियाती कदम उठाने के निर्देश दिए थे। डीजीपी, सभी जिलाधिकारियों एवं एसएसपी को निर्देश दिए गए थे कि प्रत्येक जिले में जनपद स्तरीय एक समिति गठित की जाए। समिति इस समस्या के निदान के लिए अपने सुझाव देगी। इसके अलावा संबंधित क्षेत्रों में शांति समितियों का भी गठन किया जाए और समय–समय पर इन समितियों की बैठकें आयोजित की जाए।निर्देश दिए गए थे कि जिलों में इस प्रकार के क्षेत्रों का चिन्हीकरण करते हुए वहां निवास कर रहे असामाजिक तत्वों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही जिलेवार ऐसे व्यक्तियों की सूची तैयार करने को कहा गया है जो अन्य राज्यों से आकर यहां रह रहे हैं और उनका अपराधिक इतिहास है। ऐसे लोगों का व्यवसाय और मूल निवास स्थान का सत्यापन करके उनका रिकॉर्ड तैयार करने के निर्देश भी दिए गए थे।राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम या रासुका 23 सितंबर 1980, इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान अस्तित्व में आया था. यह कानून, राज्य और केंद्र सरकार को एक ऐसे व्यक्ति को हिरासत में लेने का अधिकार देता है जो राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा बन चुका हो।
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून NSA में यह प्रावधान है कि सरकार, किसी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक जेल में रख सकती है.जिलाधिकारियों को कहा गया था कि इन क्षेत्र विशेष में भूमि की अवैध ख़रीद–फरोख्त पर विशेष निगरानी रखी जाए। इस पर रोक लगाते हुए यह देखा जाए कि कोई व्यक्ति किसी के डर या दवाब में अपनी संपत्ति न बेच रहा हो। निर्देश दिए गए थे कि जिले निवास कर रहे विदेश मूल के उन लोगों के खिलाफ सख्त करवाई करें जिन्होंने धोखे से भारतीय वोटर कार्ड अथवा पहचान पत्र बनवाए हैं। ऐसे लोगों का रिकॉर्ड तैयार कर उनके खिलाफ नियमानुसार करवाई की जाए।