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उत्तराखण्ड

इस जमीन में है गुप्त खजाना, जानिए सोना-चाँदी जैसे धातु का रहस्य

उत्तराखंड में एक ऐसी भी जगह है, जहां पर सोना-चांदी का इतना बड़ा भंडार,गुप्त खजाना छुपा हुआ है, अगर उसे निकाल पाये तो भारत विश्व के सबसे अमीर देशों की सूची में शामिल हो सकता है। यह बात बिल्कुल सच और यकीन करने वाली है। लगभग 18 साल पहले पिथौरागढ़ के अस्कोट में किये गये सर्वे के समय यहां सोना, चांदी समेत अनेक प्रकार के खनिज मिलने की पुष्टि हो चुकी है।
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिलान्तर्गत अस्कोट कस्बे की एक गुफा में भरपूर खजाना होने का रहस्य आज भी बरकरार है। कहा जाता है कि इस गुफा में इतना खजाना छिपा हुआ है जिसको हर कोई व्यक्ति पाने की चाहत जरूर रखता है,लेकिन पा नहीं सकता। बता दें यह खजाना पिथौरागढ़ जिले के अस्कोट की एक पहाड़ी के नीचे दबा हुआ है। गुफा में इतना खजाना दबा है अगर वह निकाला गया तो भारत विश्व के अमीर देशों में होगा। अस्कोट क्षेत्र के बुजुर्गों का मानना है कि इस गुफा में बहुत कीमती धातुओं (सोना चाँदी ) का खजाना भरा हुआ है। वह भी एक ऐसी धातु है जिसको पूरी दुनिया चाहती है।

इस बात की खबर फैलने के बाद पूर्व में अस्कोट के बड़ी गांव क्षेत्र में सर्वे किया गया, जिसके अनुसार यहां सोना, तांबा, चांदी, लेड, शीशा, जस्ता आदि प्रकार की एक लाख पैंसठ हजार मैट्रिक टन धातु पाये जाने के संकेत मिले। क्षेत्र के कुछ बुजुर्गों का यह भी मानना है कि यहां की खनिज संपदा उत्तराखंड की तकदीर बदल सकने में सक्षम हो सकती है, लेकिन इस दिशा में सरकार की तरफ से कोई प्रयास नहीं किए गए हैं।
ज्ञात हो कि इस जगह पर 30 वर्षों तक मिनरल एक्प्लोरेशन कारपोरेशन (M E C ) कम्पनी ने खनन किया था और उन्होंने यहां से धातु निकाली थी। इससे पहले एम ई सी के डीजीएम ने यहां पर सर्वे कर धातु निकालने का कार्य किया था, इस जगह को अस्कोट की तामखान (तांबे की खान) नाम से भी जाना जाता है। डीजीएम के कुछ कर्मचारी अभी भी वहां पर नियुक्त हैं। जबकि एमईसी कम्पनी ने अस्कोट कस्तूरा मृग बिहार लागू होने के बाद वहां पर धातु को निकालने का काम पूरी तरह बंद कर दिया था।

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भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय के सर्वे के आधार पर वर्ष 2003 में कनाडा की एक प्रसिद्ध गोल्ड कंपनी को इस जगह का पता चला और उसकी भारत में स्थित कंपनी ने भारत सरकार से अनुमति लेकर यहाँ पर फिर से सर्वे का कार्य किया । सर्वे रिपोर्ट के बाद कनाडा की कंपनी ने यहां पर व्यापारिक रूप से कार्य करने को ठान लिया था । इसके बाद अस्कोट में कंपनी ने अपना ऑफिस खोला और सर्वे के लिए कनाडा से अत्याधुनिक मशीनें लाई गई ।

कंपनी ने यहां पर धातुओं के खनन होने पर अस्कोट क्षेत्र में रहने वाले लोगो को 200 करोड़ रुपये देने का निर्णय लिया था । जिससे क्षेत्र में रहने वाले लोगो के लिए रोजगार के नए आयाम जुड़ गई थे। बकायदा इसके लिए वर्ष 2007 में कंपनी ने भारत सरकार से चल रहे खनन कार्य के लिए 30 वर्ष तक की लीज अनुमति मांगी थी। लेकिन भारत सरकार द्वारा अभी तक कनाडा की कम्पनी को अनुमति नहीं दी गई।

लीज अनुमति न मिलने पर कंपनी ने यहाँ से जाने का निर्णय ले लिया। अब हालात यह है कि कंपनी का यहां कार्यालय तो है, लेकिन वह बंद हो चुका है, और अनुमति न मिलने से यह कार्य यहीं पर ठप हो गया। क्या भविष्य में कभी यहां की गुफाओं से खजाना निकालने का कार्य होगा भी इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता है।

स्थानीय लोगों के अनुसार अगर खजाने को निकालने के प्रयास किये गए तो उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरा देश अमीर बन सकता है। मौजूदा समय में यहां से कस्तूरी मृग अभ्यारण भी इस क्षेत्र से हटा लिया गया है। पूर्व में कस्तूरी मृग अभ्यारण भी कानूनन खनन लीज के लिए बाधक बना हुआ था। बाधा दूर होने के बाद भी खनिजों को लेकर खामोशी है।

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यहां सर्वे के दौरान लंबी सुरंग बनाकर कई किमी तक खोज की गई। इस दौरान यहां की भूमि के अंदर सोना मिश्रित धातु होने की पुष्टि की गई। इस क्षेत्र के भूगर्भ में यूरेनियम की मौजूदगी की सम्भावना भी जताई गई।

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