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उत्तराखण्ड

जी-20 की पहली बैठक में पारस्परिक हित के ट्रांसबाउंड्री मुद्दों पर गहन चर्चा

पर्वत प्रेरणा ब्यूरो।
रामनगर। उत्तराखंड के नैनीताल जनपद रामनगर में पहली बार आयोजित G-20 सम्मेलन के पहले दिन की बैठक संपन्न हुई। जिसमें चीफ साइंस एडवाइजर्स राउंडटेबल (G20-CSAR) की मेजबानी की गई। जिसमें पारस्परिक हित के ट्रांसबाउंड्री S&T मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। G20-CSAR भारत के G-20 प्रेसीडेंसी के तहत और भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के नेतृत्व में यह एक प्रमुख कार्यक्रम है। बेहतर रोग नियंत्रण और महामारी की तैयारी के लिए स्वास्थ्य में अवसर विद्वानों के वैज्ञानिक ज्ञान तक पहुंच का विस्तार करने के लिए वैश्विक प्रयासों को सक्रिय करना है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) में विविधता, इक्विटी, समावेशन और पहुंच, समावेशी, सतत और क्रिया-उन्मुख वैश्विक एस एंड टी नीति संवाद के लिए एक संस्थागत तंत्र बेहतर रोग नियंत्रण और महामारी की तैयारी के लिए कारगर साबित है। बैठक में स्वास्थ्य अवसर विषय के तहत, महामारी के लिए लचीली, अनुकूली और समय पर प्रतिक्रिया के लिए महामारी की तैयारी, योजना, मनुष्यों, पशुधन और वन्य जीवन के लिए एकीकृत रोग निगरानी तंत्र, एक स्वास्थ्य के रोगों के लिए अनुसंधान एवं विकास रोडमैप पर चर्चा की गई। महत्व, और विश्लेषिकी में निवेश (जैसे रोग मॉडलिंग, एआई / एमएल उपकरण) और डेटा मानक पर भी चर्चा की गई।
विद्वानों के वैज्ञानिक ज्ञान तक पहुंच का विस्तार करने के वैश्विक प्रयासों का तालमेल विषय के तहत भी चर्चा हुई। वक्तओं ने कहा पहुंच मुफ्त, तत्काल और सार्वभौमिक होनी चाहिए, उच्च सदस्यता और पत्रिकाओं द्वारा लगाए गए लेख प्रसंस्करण शुल्क को कम किया जाना चाहिए। इंटरऑपरेबल इंटर-लिंकिंग की स्थापना अंतरराष्ट्रीय रिपॉजिटरी/अभिलेखागार के साथ राष्ट्रीय रिपॉजिटरी, और सार्वजनिक वित्त पोषित वैज्ञानिक अनुसंधान के ज्ञान आउटपुट को व्यापक रूप से उपलब्ध कराने के लिए ओपन एक्सेस जनादेश को भी महत्वपूर्ण बताया।

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बैठक में तीसरा विषय विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) में विविधता, समानता, समावेशन और पहुंच पर था। भाग लेने वाले देशों ने बड़े वैज्ञानिक उद्यम में कम-प्रतिनिधित्व, कम-विशेषाधिकार प्राप्त, हाशिए पर, अल्पसंख्यक के साथ-साथ जनजातीय/मूल समुदायों तक पहुंच को आगे बढ़ाने में अपने काम को साझा किया। सत्र में, वैज्ञानिक सत्यापन प्रक्रिया के माध्यम से ज्ञान की औपचारिक प्रणाली में पारंपरिक ज्ञान प्रणाली (टीकेएस) को शामिल करने और भाषा विविधता की क्षमता को पहचानने और वैज्ञानिक ज्ञान तक पहुँचने में आने वाली बाधाओं को दूर करने पर भी चर्चा की गई।

चौथे सत्र में समावेशी, सतत और कार्रवाई उन्मुख वैश्विक एस एंड टी नीति संवाद के लिए एक संस्थागत तंत्र की आवश्यकता पर चर्चा की गई। इस बात पर सहमति हुई कि वैज्ञानिक सलाहकार साक्ष्य-संचालित विज्ञान सलाह प्रदान करके नीतिगत विकल्पों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और यह कि सहयोग और संवाद की भावना में, यह मुख्य विज्ञान सलाहकारों की जिम्मेदारी है कि वे अंतर्राष्ट्रीय संवाद में सहयोग करें और इसमें शामिल हों। समूचे वैज्ञानिक उद्यम को प्रभावित करने वाले सीमापारीय मुद्दों का समाधान करना ताकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी सभी को लाभान्वित कर सकें। आज चर्चा किए गए विषयों पर विचार-विमर्श और जुड़ाव अगस्त 2023 तक जारी रहेगा, जब अगली बैठक निर्धारित की जाएगी, जिसमें एक विज्ञान नीति विज्ञप्ति जारी की जाएगी।

बैठक के बाद, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) प्रोफेसर अजय सूद; डॉ. परविंदर मैनी, वैज्ञानिक सचिव, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) का कार्यालय और जी20 सचिवालय में अवर सचिव नमन उपाध्याय ने भी स्थानीय मीडिया के साथ बातचीत की।

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