उत्तराखण्ड
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में तुलसी जयंती समारोह का आयोजन
हल्द्वानी। मुक्त विश्वविद्यालय में हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाएं विभाग द्वारा महाकवि तुलसी के जन्मदिवस पर तुलसी जयंती समारोह 2023 का आयोजन उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के सभागार में किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओम प्रकाश नेगी ने कहा कि तुलसी का वैशिष्ट्य रामकथा के सर्वग्रह्यता का आधार है। तुलसी दास द्वारा लोक भाषा का चुनाव उनके सहजता और प्रासंगिकता का आधार है। तुलसीदास की कविता का वैज्ञानिक महत्व है। उनके भीतर भारतीय ज्ञान परंपरा का सातत्य मौजूद है। तुलसी दास ने अपने पात्रों के साथ न्याय किया। तुलसीदास को समझने के कई पहलू हैं। आज उनकी प्रासंगिकता को समझने की जरूरत है, इनमें पर्यावरण, भौतिकी, रसायन इत्यादि ज्ञान के कई अनुशासनों का वर्णन है।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता हिंदी – कुमाऊनी की वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. दिवा भट्ट ने कहा कि तुलसी दास ने लोकभाषा में लोक के लिए लिखा। संस्कृत साहित्य के मर्मज्ञ होने के बावजूद लोक में लिखना तुलसी का चुनाव था। शास्त्र जन व्यवहार से दूर हो रहा था इसलिए जनजीवन के लिए उदाहरणार्थ अवधी में तुलसी ने रचना की। उन्होंने भाषा ही नहीं लोक व्यवहार लोक संस्कार भी चुना। तुलसी दास के यहां सबकुछ विराट है स्वप्न भी और विषय भी। वाल्मीकि और तुलसी के राम चरित में बहुत अंतर है। इस अंतर को समझ कर ही तुलसी के महत्व को समझा जा सकता है।
स्वागत वक्तव्य और विषय-प्रवेश करते हुए हिंदी विभाग के समन्वयक डॉ. शशांक शुक्ल ने कहा कि तुलसीदास हिंदी के मध्यकाल के बड़े कवि हैं। बड़े कवि का विरोधाभास भी बड़ा होता है। तुलसीदास अपनी लोकोन्मुखता एवं जातीयता के संस्कृति के कारण महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि तुलसीदास कवि से अधिक भक्त थे। उन्हें उनके युग की सीमाओं के दायरे में समझना चाहिए।
धन्यवाद ज्ञापन एवं समाहार वक्तव्य देते हुए हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. राजेंद्र कैड़ा ने कहा कि अमूमन तुलसी दास को वक्तव्य देते हुए अक्सर वक्ता उनकी वकालत करने लगते हैं जबकि तुलसी दास को बतौर कवि के तौर पर पढ़ा जाना चाहिए।
तुलसी दास की कविता में शब्द और अर्थ का जैसा सौंदर्य देखने को मिलता है वह उनके काव्य कौशल का प्रमाण है। रामचरितमानस को प्रेम कविता के तौर पर भी पढ़ना चाहिए। जहां तुलसी ने राम और सीता के प्रेम का वर्णन किया है वह विश्व की श्रेष्ठ प्रेम कविता होने का सामर्थ्य रखती हैं।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की वित्त नियंत्रक, डायरेक्टर एकेडमिक्स, मानविकी विद्याशखा के प्रभारी निदेशक एवं विश्वविद्यालय के शिक्षक, कार्मिक और छात्र उपस्थित रहे।