उत्तराखण्ड
उत्तराखंड मुक्त विवि में संपन्न हुआ दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार
“जल एवं जैव संसाधन पर हुआ राष्ट्रीय स्तर पर चिंतन -75 सालों में कहां पहुंचा भारत का जल एवं जैव संसाधन पर्यावरणीय स्थिरता में भारत की भूमिका जल एवं जैव संसाधन था विषय,,
हल्द्वानी। उत्तराखंड मुक्त विवि में चल रहे दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आज समापन हो गया है। पर्यावरणीय स्थिरता में भारत की भूमिका जल एवं जैव संसाधन के संदर्भ में विषय पर चल रहे सेमिनार में हेमवती नंदन बहुगुणा केन्द्रीय महाविद्यालय, डिपार्टमेंट अफ फॉरेस्ट्री एवं नेचुरल रिसोर्सेज के प्रोफेसर आर. सी. गुन्दरियाल ने हिमालयी परिप्रेक्ष्य में वनों के सतत प्रबंधन पर विचार रखे।
उन्होंने हिमालयी क्षेत्र के पारिस्थतिकी, आर्थिक और सामाजिक पक्ष पर जोर देते हुए चिता जाहिर की कि हमारे पास हिमालय से जुड़े आकड़ों की बेहद कमी है, जिसे संग्रह करने की जरूरत है। उन्होंने भारत सरकार के पर्यावरण से संबंधित विभिन्न मिशन की जानकारी देते हुए पर्यावरण संरक्षण को आगे बढ़ाने की बात कही।
इस दौरान दूसरे वक्ता के तौर पर गड़बाल विवि के ही प्रोफेसर पी. पी. बडोनी ने जल एवं जीवनदायिनी गंगा व उसकी सहायक नदियों से संबंधित नमामि गंगे पर अपनी बात रखते हुए उन्नत भारत, एक भारत श्रेष्ठ भारत, स्पर्श गंगा वन वाटिका, स्पर्श गंगा बाटिका के तहत जल की गुणवत्ता तथा उसका सामाजिक व आर्थिक परिप्रेक्ष्य सामने रखा। सेमिनार का समापन करते हुए अध्यक्षीय उद्बोधन के तौर पर विवि के कुलपति ने कहा कि ये बहुत ही प्रासंगिक विषय पर सेमिनार हुआ है।आज हिमालय को फिर से सहेजने की जरूरत है, जो हमें बताया है कि हमें अपने पर्यावरण, जन एवं मिट्टी की जैव संसाधन की सुरक्षा करना कितना जरूरी है। विवि के कुलपति प्रो. ओपीएस नेगी ने सेमिनार में आए विशेषज्ञों बॉयोवर्सटी इंटरनेशनल के राष्ट्रीय संयोजक व प्रधान वैज्ञानिक डा. जे सी राणा, पंतनगर विधि की सेवानिवृत प्रो. उमा मेलानिया एचएफआरआई शिमला के निदेशक डा. एस.एस.सामंत, जीवी पंत, राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डा. जीसी एस नेगी का बहुत आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम के मुख्य संचालक विवि के वनस्थित विज्ञान विभाग डा. एस. एन. ओझा ने दो दिवसीय सेमिनार का सभी विशेषज्ञों द्वारा दिये गए वक्तव्य का सारोश व सुझाव प्रस्तुत करते हुए पर्यावरण के सतत विकास पर जोर दिया। इस मौके पर विवि के विज्ञान विद्याशाखा के निदेशक प्रो. पीडी पंत, डा. पूजा जुयाल, डा. कर्तिका पलिया, डा. प्रभा दीडियाल व अन्य कुल 95 प्रतिभागियों ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया।
पर्वत प्रेरणा ब्यूरो।