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उत्तराखण्ड

उत्तराखंड: हिमालय के बेरोजगार युवाओं के हक की बात

हिमालयी राज्य उत्तराखंड के 10 जिलों के मूल निवासी, गरीब जातियों को भी 27% ओबीसी में शामिल किया जाना चाहिए। हिमालयी राज्य उत्तराखंड के 13 ज़िलों में ओबीसी के लिए 27% रिजर्वेशन है। इसमें 78 जातियां शामिल हैं। आश्चर्यजनक है कि ये 78 जातियां मात्र 3 जिलों हरिद्वार, उधम सिंह नगर, देहरादून या कुछ तराई क्षेत्रों में ही निवास करती हैं। शेष 10 पर्वतीय जिलों में यानि अल्मोड़ा, चमोली, रूद्रप्रयाग, टेहरी, नैनीताल, पौढ़ी,उत्तरकाशी, चंपावत, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिलों में ये जातियां मूल रूप से नहीं पायी जाती हैं।

यानि कि 3 जिलों के 27% निवासी शेष 10 जिलो‌ की 27% सीटों पर काबिज रहेंगी। जिस पर गौर करने की जरूरत है। चूंकि ये 78 घोषित/ नोटीफाइड जातियां मात्र 3 जिलों में हैं इसलिए सौ में से ओबीसी के 27 % पद मात्र 3 जिलों के पात्रों को जायेंगी।
मूलत: कुमाऊं और गढ़वाल हिमालय में ये जातियां नहीं पायी जाती हैं। इन 10 जिलों में तो नोटीफाइड अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग ही निवास करते हैं। यानि कि इन्हें पूरे 13 जिलों के 23% रिजर्वेशन से ही संतोष करना पड़ेगा। वर्तमान में उत्तराखंड में कई पदों की विज्ञप्ति लोक सेवा आयोग एवं अन्य विभागों द्वारा विज्ञापित किये गये हैं।

हिमालय के दस जिलों के बेरोजगार युवाओं के हक पर इससे निश्चित चोट पहुंचेगी। सरकार को उत्तराखंड हिमालय के 10 जिलों के मूल निवासी गरीब जातियों को 27% ओबीसी में शामिल किया जाना चाहिए। अब नये एक्ट के अनुसार सरकार को यह अधिकार मिल गया है कि वह ओबीसी में नयी जातियों को शामिल कर सकती है। बेरोजगार हिमालय के युवाओं के हक में आवाज उठनी चाहिए। नहीं तो उत्तराखंड के पहाड़ी दस जिलों के बेरोजगार युवाओं का भविष्य संकट में ही रहेगा।

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यह भी गौर करने वाली बात है।

उत्तराखंड के मात्र 21 विधानसभा क्षेत्रों में ओबीसी की सियासत चलती है। जिसमें भाजपा,कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दल आरक्षण की पैरवी कर रहे हैं। राज्य के 49 विधानसभा क्षेत्रों में रह रहे गरीब ओबीसी कहीं गिनती में नहीं है।
उत्तराखंड में ओबीसी बिरादरी के सबसे ज्यादा लोग हरिद्वार में हैं। इनमें सैनी, गिरी, लोधी, प्रजापति, पाल, हिंपी, यादव, कश्यप, गुर्जर, जाट, जुलाहा, धीमान, अहीर, अरख, काछी, कोईरी, कुम्हार, मल्लाह, निषाद, कुर्मी, कांबोज, दर्जी, नट, बंजारा, मनिहार, लोहार, नाई, सलमानी, मारछा आदि हैं। इसके अलावा ऊधमसिंहनगर के रुद्रपुर, जसपुर, काशीपुर, उत्तरकाशी के गंगोत्री, यमुनोत्री और पुरोला, टिहरी के धनोल्टी थौलदार व प्रतापनगर का कुछ हिस्सा, पिथौरागढ़ का मुनस्यारी और पौड़ी का राठ क्षेत्र ओबीसी के दायरे में है।

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