उत्तराखण्ड
उत्तराखंड-इस मंदिर में नमक के बोरे में भक्त के साथ आईं थी देवी
देवप्रयाग। आज नवरात्रि का दूसरा दिन है. नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। श्रद्धालु विधि-विधान से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
देवी ब्रह्मचारिणी मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि करती हैं। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनुष्य दीर्घायु होता है। नवरात्रि के दूसरे दिन हम आपको उत्तराखंड के एक ऐसे देवी मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां मां अपने भक्त के साथ नमक के बोरे में आई थी।
इस पूरे क्षेत्र में इस मंदिर की बेहद मान्यता है और दूर-दूर से श्रद्धालु यहां देवी का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं और नवरात्रि पर मंदिर में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटती है। इस मंदिर का नाम मां भुवनेश्वरी मणिद्वीप धाम सिद्धपीठ है। पूरे इलाके में मां भुवनेश्वरी की बेहद कृपा है. इस नवरात्रि आप अपने परिवार के साथ मां भुवनेश्वरी के दर्शन कर सकते हैं और उनका आशीर्वाद ले सकते हैं।
मां का यह प्रसिद्ध मंदिर उत्तराखंड के देवप्रयाग में है। नवरात्रि पर यहां दूर-दूर से भक्त मां के दर्शन और विशेष पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. मां का यह मंदिर देवप्रयाग से 11 किमी दूर है. मां भुवनेश्वरी मंदिर जिस जगह पर है उसे सांगुड़ा तिल्या बिलखेत कहते हैं। श्रद्धालु बताते हैं कि इस मंदिर में उनको असीम आध्यात्मिक ऊर्जा की अनुभूति होती है। यहां का वातावरण भी श्रद्धालुओं को बेहद भाता है. यह मंदिर एकदम शांत और सुकून देने वाली जगह पर है।
यहां का पूरा माहौल भक्तिमय रहता है। ऐसा कहा जाता है कि इस पूरे क्षेत्र पर मां भुवनेश्वरी की विशेष कृपा है। लोक मान्यता है कि यहां देवी अपने भक्त के साथ नमक के बोरे में प्रवेश कर आई थी। लोकश्रुति के मुताबिक, देवी इस जगह पर नजीबाबाद से आई थी। इसे लेकर एक लोकश्रुति भी है जिसमें बताया जाता है कि मां भुवनेश्वरी सैनार गांव के नेगी बंधुओं के साथ नजीबाबाद से इस जगह पर आई थी।
जब नेगी बंधु नजीमाबाद से नमक खरीद रहे थे उस वक्त देवी सूक्ष्म रूप से नमक के बोरे में प्रवेश कर गई। जैसे ही नेगी बंधु कोटद्वार-दुगड्डा होते हुए सांगुड़ा गांव पहुंचे, नमक का बोरा भारी होता चला गया। कहा जाता है कि ऐसा मां की शक्तियों की वजह से हुआ और उन पांचों भाइयों के लिए नमक का बोरा उठना तो दूर हिलाना भी मुश्किल हो गया। जब पांचों भाइयों ने नमक के बोरे को खोलकर देखा तो उसमें उनको एक पिंडी मिली। कहते हैं कि उन भाइयों ने उस पिंडी को सामान्य पत्थर समझकर फेंक दिया और नमक के बोरे को घर ले आये।
ऐसी लोकश्रुति है कि इसके बाद मां ने उनको स्वप्न में दर्शन दिया और तब जाकर वो पिंडी के रहस्य को समझ पाये और उस स्थान में देवी मां के मंदिर का निर्माण कराया गया।इस नवरात्रि आप भुवनेश्वरी मणिद्वीप धाम सिद्धपीठ के दर्शन के लिए जा सकते हैं। नवरात्रि के दौरान यहां देशभर से मां भुवनेश्वरी के भक्त विशेष पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।
इस नवरात्रि आप अपने परिवार के साथ मां भुवनेश्वरी के दर्शन के लिए जा सकते हैं और इस मंदिर प्रागण में आध्यात्मिक अनुभूति का अनुभव कर सकते हैं। मां भुवनेश्वरी मंदिर उत्तराखंड के देवप्रयाग में है। यहां नवरात्रि में दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं। मां भुवनेश्वरी मणिद्वीप धाम सिद्धपीठ सांगुड़ा तिल्या बिलखेत नामक जगह पर है।
यह जगह देवप्रयाग से करीब 11 किलोमीटर दूर है। यहां मां के दर्शन के लिए जाने वाले भक्कों को आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ ही बेहद सुकून भी मिलता है। हर बार की तरह इस नवरात्रि भी इस मंदिर में बड़ा आयोजन हो रहा है और मंदिर को विशेष तौर पर सजाया गया है।