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उत्तराखण्ड

कैबिनेट में 11 प्रस्तावों पर मुहर, योग नीति और स्थानीय विकास के फैसलों से बदलेगा प्रदेश का चेहरा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में बुधवार को कैबिनेट की अहम बैठक हुई है जो अब पूरी हो चुकी है। इस बैठक में कुल 11 प्रस्तावों पर सहमति बनी है जिनमें सबसे ज्यादा ध्यान खींचने वाला फैसला उत्तराखंड की पहली योग नीति को लेकर लिया गया है। अब प्रदेश में पांच जगहों को योग से जुड़े केंद्रों के तौर पर विकसित किया जाएगा जिन्हें योग हब का नाम दिया जाएगा।

इसके अलावा सरकार ने स्वास्थ्य विभाग की आर्थिक परेशानी को देखते हुए उसे बड़ी राहत दी है। राज्य सरकार अब स्वास्थ्य विभाग को पचहत्तर करोड़ रुपये लोन देगी जिससे अटल आयुष्मान योजना के तहत अस्पतालों को भुगतान किया जा सकेगा। देहरादून और हल्द्वानी के मेडिकल कॉलेजों में मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों के लिए भी ठहरने और खाने की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए सरकार जमीन देगी और निर्माण कार्य सीएसआर फंड के जरिये पूरा कराया जाएगा।

बैठक में एक और अहम फैसला हुआ है जिसके तहत प्रिक्योरमेंट नियमावली में बदलाव किया गया है। अब राज्य में दस करोड़ रुपये तक के विभागीय कार्य स्थानीय ठेकेदारों से ही कराए जाएंगे। हर श्रेणी में स्थानीय ठेकेदारों की काम करने की सीमा बढ़ा दी गई है। साथ ही स्थानीय लोगों और स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दी जाएगी।

इस बैठक में प्रदेश की औद्योगिक तस्वीर को लेकर भी बड़ा कदम उठाया गया है। उत्तराखंड मेगा और इंडस्ट्रियल पॉलिसी दो हजार पच्चीस को मंजूरी दी गई है। ये नीति अगले पांच सालों के लिए लागू रहेगी। इसमें उद्योगों को चार श्रेणियों में बांटा गया है और प्रदेश को भी चार हिस्सों में बांटकर निवेश को बढ़ावा देने की योजना तैयार की गई है।

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विष कब्जा और विक्रय नियमावली में भी संशोधन किया गया है जिसमें अब मिथाइल अल्कोहल को भी शामिल किया गया है। इसके साथ ही अधीनस्थ लेखा संवर्ग से जुड़े राजपत्रित नियमों में बदलाव को मंजूरी दी गई है।

राज्य बाढ़ सुरक्षा से जुड़ी वार्षिक रिपोर्ट को सदन में रखने की इजाजत दी गई है। वहीं निबंध लिपिकवर्गीय कर्मचारी सेवा नियमावली उन्नीस सौ अठहत्तर की जगह अब दो हजार पच्चीस की नई नियमावली लाई जाएगी जिसे कैबिनेट की मुहर मिल गई है।

सेवा क्षेत्र नीति दो हजार चौबीस और चाय विकास बोर्ड के ढांचे में भी बदलाव को कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है।

योग नीति को लेकर लिए गए इस ऐतिहासिक फैसले को राज्य सरकार अब व्यापक रूप से लागू करने जा रही है और इसके ज़रिए उत्तराखंड को योग की नई राजधानी के तौर पर विकसित करने की दिशा में मजबूत कदम बढ़ा दिया गया है।

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