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रक्तशाली चावल समेत 12 नस्ल के धान उगाकर अनिलदीप ने किया कमाल

-खेती में नए प्रयोग के लिये जाने जाते हैं प्रगतिशील किसान अनिलदीप महाल
(दया जोशी)
सितारगंज। अनोखी प्रजाति की फसलों के उत्पादन के लिए पहचाने जाने उत्तराखंड के प्रगतिशील किसान अनिल दीप महाल अब रक्तशाली और काला चावल उगाने को लेकर चर्चा में है। यह ऐसा धान(चावल) है जो पहले लोगों को प्राचीन काल मे इसकी खीर बनाकर प्रसाद के रूप में दिया जाता था। इस धान का चावल में औषधीय गुण भी पाए जाते हैं और यह ज्वर के उपचार में कारगर साबित होता है। जबकि कला धान केवल राजा महाराजाओं के यहां प्रयोग होता था। इस सीजन में उन्होंने करीब एक दर्जन प्रजाति के धान लगाएं हैं।
बिज्टी के बरार फार्म निवासी किसान अनिलदीप महाल की बागबानी में रक्तसाली,काला,नवारा,बैगनी चावल समेत विभिन्न दुर्लभ फूल पौधों की भी भरमार है। नीला गेंहू,बैगनी गेंहू,काला चावल व लाल भिंडी उगा कर खासी शोहरत प्रप्त कर चुके किसान अनिलदीप महाल बताते हैं कि रक्तसाली चावल की खासियत है कि इसको भगवान नारायण की पूजा की जाती है साथ इससे पितृ दोष भी समाप्त हो जाता है। ये काला चावल पुराने जमाने में इसका इस्तेमाल केवल राजा महाराजा ही करते थे। उन्होने शोध के दौरान पता लगाया की रक्तसाली चावल के खाने से रक्त शुद्ध होता है और शारिरिक क्षमता बढ़ती है। इस चावल में औषधीय गुण भी मिलते हैं। पुराने समय मे इस चावल का प्रयोग लोग ज्वर के उपचार में करते थे। किसान अनिलदीप बताते हैं कि इसके अलावा उन्होंने कुछ अन्य प्रजातियों के चावल भी उगाएं हैं। बताते हैं कि बिलू राईस (नीला चावल), भूटानी भूटान से बीज प्रप्त किया। तुलसी बासमती, नरावा चावल देखने में काला होता है। लेकिन चावल हरा होता है। हीरानाकी धान हरा व चावल सफेद और खुशबूदार होता है। तिलकासूत्री हरा(ग्रीन) धान काला व चावल हरा होता हैं। तिलकसूत्री ग्रीन व नीला चावल है जो बहुत रेयर (दुर्लभ) है। यह चावल किसी भी स्टेट में नही है। यह इत्तफाक से महाराष्ट्र में किसान से मिल गया। उसके खेत में कुछ धान उग आए। इन्होंने महाराष्ट्र के किसान से संपर्क कर ये प्राप्त किया। सूत्रों के अनुसार धान व चावल के बारे में कृषि अनुसंधान पन्त नगर के अधिकारियों को भी जानकारी नहीं है।

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धान व गेहूं का बनाना चाहते हैं बीज बैंक
अनिलदीप महाल के मुताबिक अब उनका इरादा है कि धान और गेहूं की प्रजातियों का बीज बैंक बनाना है। आसपास व दूर दराज के काश्तकारों को भी इनके बीज देकर खेती के लिए प्रेरित करेंगे।उनका उद्देश्य इसके पीछे धन कमाना नही बल्कि भावी पीढ़ी को एक बार पुनः पुराने जमाने में उगने वाले गुणकारी पेड़ पौधो की जानकारी देना है।
कई किसानों को बांटे हैं बीज
अनिलदीप के मुताबिक

नवारा बैगनी, काली बट्टी ,हीरा नाकी के साथ ही लाल रंग की भिंडी भी उन्होंने उगा रखी है। उनका कहना है कि इसके 100,100 ग्राम बीज की कीमत 1200 से 1300 के बीच अदा की है।उन्होंने इस के बीज कुछ निशुल्क एक उत्तर प्रदेश के नवडण्डी क्षेत्र व सितारगंज के सिडकुल स्थित मीरा बारह राणा को भी दिए। लाल अंजीर,हींग का पौधा, व आल सपॉश (सभी मसालों का मिला जुला संगम ) एक ही पेड़ में मौजूद है। नींबू, हरा गुलाब, काला गुलाब, मीठी सौप, लाल केला , काली बट्टी ये सब लगा रखे हैं। उन्होंने बताया कि नवारा और हीरानाकी को छोड़कर सभी धान के पौधों की लंबाई करीब पांच से लेकर छह फीट तक हो होती है।
हो चुके हैं सम्मानित
खेती में नए नए प्रयोग के लिए वरिष्ठ भाजपा नेता सुरेश गंगवार और कृषि विभाग के बीएलओ सुमित गौर इस कार्य मे पूर्ण रूप से सहयोग कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनका परिवार आर्मी से सम्बन्धित है। देश के बारे में सोचना उनका प्रमुख काम है!उनको 26 जनवरी में डीएम रंजना राजगुरु और एसएसपी दिलीप सिंह कुँवर ने किसानVV भूषण सम्मान से 25000 हजार रुपये का पुरस्कार देकर समानित किया। उनके फार्म हाउस पर राज्यपाल, विधायक व अन्य अधिकारी भी उत्साहवर्द्धन के लिए आते रहते हैं।

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