आध्यात्मिक
रमणीक पहाड़ी पर आस्था एवं विश्वास का प्रतीक बाबा हैड़ाखान मंदिर
आज हम आपको देवभूमि उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिला अंतर्गत रानीखेत क्षेत्र में स्थित “हैडाखान मंदिर,, ले चलते हैं। हैड़ाखान मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। मंदिर के साथ-साथ यह स्थल पर्यटन की दृष्टिकोण से भी खासा महत्वपूर्ण है।
नीले अम्बर के नीचे खूबसूरत हरी भरी पहाड़ों से जब हिमालय के अदभुत दर्शन होते हैं तब हर किसी का मन गदगद हो उठता है। देवभूमि उत्तखण्ड का रानीखेत बेहद खूबसूरत दर्शनीय स्थल है। समुद्र तल से इस मंदिर की ऊँचाई लगभग 1835 मीटर हैं।
जनपद मुख्यालय अल्मोड़ा से लगभग 45 किमी दूर पर स्थित रानीखेत में घूमने के लिए और भी बहुत कुछ है। यदि आप हेड़ाखान मंदिर आना चाहते हैं तो रानीखेत से करीब तीन-चार किमी दूर एनएच-87 मार्ग स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक एवं विख्यात तीर्थ-स्थान है । यह मंदिर सफ़ेद संगमरमर से निर्मित भव्य बना हुआ है। प्रति वर्ष दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। रानीखेत से क़रीब चार या पांच किलोमीटर दूर हिमालय की सुरम्य वादियों में एक रमणीक पहाड़ी पर स्थित हैं । इस मंदिर से हिमालय का नजारा बड़ा ही शानदार नजर आता हैं। यदि मौसम साफ़ रहा हो तो यहां से सैकड़ों किलोमीटर दूर हिमालय की बर्फ से ढकी मुख्य चोटियाँ जैसे पंचाचुली, नंदादेवी, चौखम्बा आदि साफ नजर आती हैं । इस मंदिर को कुमाऊँ के प्रसिद्ध संत बाबा हैड़ाखान ने स्थापित किया था। उन्होंने कई वर्षों तक इस स्थान पर ध्यान और तप किया था। स्थानीय लोगों द्वारा वह पूजे जाते रहे । बाबा की मृत्यू के पश्चात् इस मंदिर में उनकी मूर्ति स्थापित की गई, तब से वह मूर्ति के रूप में पूजे जाते हैं। यहाँ के निवासी और उनके असंख्य भक्त बाबा को भगवान शिव का अवतार मानते हैं, और बाबा को श्री श्री 1008 बाबा हैड़ाखान महाराज के नाम से जाना जाता हैं। यह मंदिर भगवान शिव और बाबा हैड़ाखान महाराज को समर्पित हैं । यहां हैड़ाखान बाबा के भक्तों के द्वारा उनके चमत्कार के अनेक किस्से सुने जा सकते हैं । इस मंदिर की मान्यता देश में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में भी है । हर साल यहां हजारों लोग दर्शन करने आते हैं।
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