ज्योतिष
देवगुरु बृहस्पति के राशि,परिवर्तन से राशियों पर पड़ने वाले प्रभाव-
देवगुरु बृहस्पति का राशि परिवर्तन 6 अप्रैल 2021 से हो गया है। समस्त ग्रहों में देवगुरु बृहस्पति को एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है,जिसकी चाल से देश और दुनिया के आने वाले समय के बारे में जाना जाता है। दिसंबर 2019 में जब गुरु ने राशि परिवर्तन किया था तो इसे कोरोना से जोड़ कर देखा गया। गुरु- शनि की युति ने इस महामारी को आगे बढ़ाया।
— कुंभ भी शनि की राशि है जो बृहस्पति की neutral राशि है। कई ज्योतिषाचार्यों का यह मानना है कि जब तक शनि अपनी दो राशियों मकर और कुंभ से बाहर नहीं निकलते, तब तक कोरोना और किसान / जनांदोलन चलते रहेंगे और यह सिलसिला अगले 13 महीनों तक चलने की संभावना है।
— नए संवत 2078 और नवरात्र 13 अप्रैल से आरंभ हो रहे हैं। इस संवत में राजा और मंत्री दोनों ही मंगल हैं जो आने वाले समय में हिंसा, उपद्रव, दुर्घटनाओं, प्राकृतिक आपदाओं, अधिक गर्म मौसम का संकेत दे रहे हैं।
देवगुरु बृहस्पति का गोचर – 2021:-
5-6 अप्रैल 2021 रात्रि 12.25 बजे से मकर से कुंभ में प्रवेश। (वर्ष में पहला राशि परिवर्तन)
20 जून 2021 रात्रि 8.34 बजे वक्री गुरु कुंभ राशि मे ,
14 सितंबर 2021 दोपहर 2:34 बजे वक्री गुरु पुन: मकर मे,
18 अक्टूबर 2021 प्रात: 11.02 बजे मार्गी मकर राशि में,
20 नवंबर 2021 रात्रि 11.15 बजे मार्गी गुरु पुन: कुंभ में,
23 फरवरी 2022 सायं 7.00 बजे गुरु अस्त पश्चिम में ,
13 अप्रैल 2022 सायं 4.58 बजे कुंभ से मीन में प्रवेश,
(वर्ष 2021 में देव गुरु बृहस्पति कुल 120 दिन वक्री रहेंगे)
— इस राशि परिवर्तन से वृषभ, मेष और मिथुन राशि वालों के लिए सकारात्मकता और खुशियों का पिटारा होगा। इन लोगों को विद्या में सफलता तो मिलेगी। साथ ही धन के लाभ मामले में इनके लिए बहुत ही शुभ योग हैं।
— इसके अतिरिक्त कर्क, सिंह और कन्या राशि के लिए समय थोड़ा मुश्किल भरा रह सकता है। इन लोगों को कई चिंताओं का सामना करना पड़ेगा। तुला एवं वृश्चिक राशि वालों को संतान सुख के साथ धन लाभ के योग हैं। इन लोगों के लिए समय बहुत ही उत्तम रहेगा।
उपाय:-
प्रत्येक राशि के जातक बृहस्पति के शुभ प्रभावों में वृद्धि के लिए भगवान नारायण की पूजा करें। गुरुवार को पीले पुष्प और शुद्ध घी से बनी मिठाई का नैवेद्य लगाएं। रविवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।पीपल के पेड़ में नित्य जल अर्पित करें। संभव हो तो गुरुवार के व्रत करें। पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण व्रत करें। ऊंँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करो। और अपने कर्मों को अच्छा रखें।