उत्तराखण्ड
डीएफओ कांडपाल की विदाई समारोह में हर कोई दिखा भावुक
चंपावत। वन विभाग के इतिहास में वनकर्मियों ने पहली बार अपने डीएफओ आर सी कांडपाल को अपना गुरु व सच्चा मार्गदर्शक मानते हुए उन्हें सेवानिवृत होने पर ऐसा मान व सम्मान देकर विदा किया, जिसमें हर व्यक्ति की आंखें भरी हुई थी। अपनी विशिष्ट कार्यशैली के लिए अपनी पहचान बनाने वाले श्री कांडपाल के प्रति वनकर्मियों में जो सम्मान का भाव था, आज की व्यवस्था में उसे पाना संभव नहीं है। जिलाधिकारी नवनीत पांडे की अध्यक्षता एवं हर्षवर्धन गढ़िया के संचालन में हुए समारोह में अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ से भी वनकर्मी विदाई में शामिल हुए थे। मॉडल जिले चंपावत को जिलाधिकारी,पुलिस अधीक्षक एवं डीएफओ ने आपसी तालमेल से हर क्षेत्र में ऊंचाइयां दी हैं। इस अवसर पर रेंजर दिनेश जोशी, रमेश जोशी, कैलाश गुणवंत, राजेश जोशी, दीप जोशी, बी आर टम्टा,गोविंद सिंह, गुलजार हुसैन,हिमालय सिंह टोलिया समेत सभी वनकर्मियों ने उन्हें हारों से लाद दिया। एसीएफ नेहा चौधरी समेत रेवाधर जोशी, शंकर सामंत, आशुतोष जोशी, रवि कुमार, आनंद गिरी, बी एस रावत, पूनम पंत ने भी डीएफओ के साथ बिताए क्षणों को याद किया।
डीएफओ ने कहा वन विभाग का कार्य जितना चुनौतीपूर्ण है उतना ही रोमांच से भरा हुआ भी है। उन्हें इस बात पर संतोष है कि जो कार्य उनके कार्यकाल में हुए उन्हें देखने के लिए लोग बाहर से आ रहे हैं तथा वन विभाग ने सीधे जनता से जुड़कर उन्हीं की भावनाओं के अनुसार उन्हीं के लिए योजनाएं बनाई, जो उन्हें रोजगार दे रही हैं। उन्होंने वन कर्मियों के अलावा डीएम व एस पी द्वारा दिए गए सहयोग के प्रति आभार जताया। एसपी अजय गणपति का कहना था कि श्री कांडपाल में सहयोग और समन्वय से कार्य करने की विशेष क्षमता थी। जिलाधिकारी नवनीत पांडे ने कहा कि श्री कांडपाल ने आम लोगों, अपने उच्च अधिकारियों एवं अपने अधीनस्थ कर्मियों का भूतपूर्व सहयोग प्राप्त किया। यही उनकी सफलता का मुख्य राज था। जिला सूचना अधिकारी गिरजा जोशी ने कहा ऐसे समारोह कम देखने को मिलते हैं, जिसमें लोगों की आंखें भरी रही। वरिष्ठ कोषाधिकारी सीमा बंगवाल, विधायक प्रतिनिधि प्रकाश तिवारी, भाजपा नेता शंकर पांडे ने भी विचार रखे। इस अवसर पर श्री कांडपाल की माताश्री हेमा कांडपाल, धर्मपत्नी भावना कांडपाल, महाराष्ट्र से आए उनके अनुज बी सी कांडपाल एवं अन्य परिजन भी इस भव्य कार्यक्रम के गवाह बने।अधिवर्षता पूर्ण कर रहे डीएफओ आरसी कांडपाल ऐसे अधिकारियों में थे, जिन्होंने अपने 37 वर्ष 3 माह के सेवाकाल में कभी आकस्मिक अवकाश या उपार्जित अवकाश नहीं लिया और वह सदा राजकीय दायित्वों का निर्वाह करते रहे।