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आध्यात्मिक

ज्योतिलिंग जागेश्वर मंदिर में राजा दीपचंद के हाथों में आठवी सदी से जलती अखंड बत्ती…

जागेश्वर धाम मंदिर समूह का वर्णन पुराणो के अनुसार भारत में स्थित बारह ज्योतिलिॕगो में आठवी लिंग के रुप मे उल्लेख मिलता है, मंदिर समूह में 125 छोटे बडे मंदिर है जिनमें ज्योतिर्लिंग जागेश्वर, हनुमान, पुष्टि माता, मृत्युंजय, केदारनाथ, भैरवनाथ व कुवेर मंदिर में मुख्य रुप से दैनिक पूजन व सायं आरती की जाती है।
समूह का मुख्य मंदिर ज्योतिलिंग जागेश्वर मंदिर के गर्वग्रह में चंद वंश के राजाओ की अष्ट धातु से निर्मित दो प्रतिमाये विधमान है जिनमें राजा दीप के हाथों में सदियो से अखंड दीप प्रज्वलित हो रही है, माना जाता है कि (दंत कथा के अनुसार) यह दीपक राजा के हाथों से धीरे धीरे नीचे की ओर आ रहा है, अगर दीपक राजा के पेरो को स्पॕश कर लेगा तो कलयुग का अन्त हो जायेगा, इस अखंड दीप को कलयुग व सतयुग के अन्त की घडी माना जाता है।
दूसरी प्रतिमा राजा कल्याण चंद की है वह प्रतिज्ञा लेकर खडे है जब तक सूर्य, चन्द्रमा, तारे रहेगे, तब तक भगवान ज्योतिलिंग जागेश्वर महादेव की पूजा आर्चना होती रहेगी, इन्ही राजाओ के द्वारा इस धाम में पूजन की व्यवस्था करवायी गयी है। इन्होने अपने राज्य से 103 गूठ गांव जागेश्वर मंदिर की सेवा में दान किये थे, जिन गूठ गांवों को जागेश्वर मंदिर समूह की सेवा मे लगाया उन्हे अलग अलग जिम्मेदारियां सौपी गयी थी, जो वतॕमान में आज भी कुछ गावों से सुचारू रूप से चल रही है,
इन राजाओ के द्वारा हस्त लिखित में प्रदान किये गये 103 गूठ गांव दान व मंदिर व्यवस्थाओ की हस्त लिखित जानकारी आज भी धाम के मुख्य पुजारी पंडित हेमन्त भट्ट के पास सुरक्षित हैं। कैलाश भट्ट-: जागेश्वर धाम

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