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केरल सरकार के समर्थन में उतरेगी वामपंथी पार्टियां, केंद्र पर लगाए भेदभाव के आरोप




वामपंथी पार्टी भाकपा, माकपा और भाकपा (माले) ने माकपा राज्य कार्यालय में बैठक का आयोजन किया। बैठक में मौजूद वामपंथी नेताओं ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार देश के संघीय ढांचे को तहस-नहस करने पर तुली हुई है। विपक्षी सरकारों को अस्थिर करना, उन्हें केंद्रीय करों में से उनका अंश न देना, गणतंत्र दिवस की परेड में विपक्षी पार्टियों की सत्ता वाले राज्यों की झांकियों को शामिल न करने जैसे तमाम उदाहरण हैं। जो बताते हैं कि मोदी सरकार, विपक्षी पार्टियों से शत्रुतापूर्ण व्यवहार कर रही है।


वामपंथी पार्टी के नेताओं ने कहा कि इन राज्यों में राज्यपाल अपने पद की गरिमा के अनुरूप आचरण करने के बजाय केंद्रीय सरकार की कठपुतली की तरह व्यवहार कर रहे हैं और राज्य सरकारों की राह में अड़चन पैदा कर रहे हैं। केरल की वाम मोर्चे की सरकार के साथ केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे भेदभाव के खिलाफ वहां के मुख्यमंत्री कॉमरेड पिनरई विजयन के नेतृत्व में केरल का पूरा मंत्रिमंडल और सांसद, आठ फरवरी को दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरना देंगे।

देहरादून में किया धरने पर बैठने का ऐलान
धरने के समर्थन और केरल व अन्य विपक्षी पार्टियों की सरकारों के साथ किए जा रहे भेदभाव के विरुद्ध वामपंथी पार्टियां भी आठ फरवरी को देहरादून के दीनदयाल उपाध्याय पार्क में धरना देंगी। वामपंथी नेताओं ने कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा जिस तरह आज यूसीसी का ड्राफ्ट मिलने के तीसरे दिन समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को विधानसभा में पेश करने की तैयारी है, वह हड़बड़ी दर्शाती है कि बिना विचारे यूसीसी सिर्फ चुनावी लाभ के लिए आजमाया जा रहा हथकंडा है।

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अल्पसंख्यकों में भय पैदा करने के लिए लागू कर रहे UCC
वामपंथी नेताओं ने कहा कि यूसीसी का उपयोग राज्य की भाजपा सरकार केवल अल्पसंख्यकों में भय पैदा करने और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए करना चाहती हैं। संविधान में नीति-निर्देशक तत्वों के अंतर्गत अनुच्छेद 44 में पूरे देश के नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता की बात है इसलिए किसी एक राज्य द्वारा अलग से नागरिक संहिता बनाना औचित्यहीन है। वामपंथी नेताओं ने कहा कि देश को एकरूपता की आवश्यकता नहीं है बल्कि समानता की जरूरत है और देश की विविधता और विभिन्नता को संरक्षित करने की आवश्यकता है।

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