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ज्योतिष

जानिए,शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव व उपाय

शनि की साढ़ेसाती प्रारंभ होना या शनि की ढैया का लगना, यह सब तब ही हानिकारक हो सकते हैं जब शनि की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो, जन्मकुंण्डली में खराब भावों का-सूचक हो, अगर यह खराब भाव में नहीं है या दशा अंतर्दशा नहीं चल रही हो, तो शनि अशुभ नहीं होता, मतलब जातक को हानि नहीं पहुंचाता।
केवल देखता है कि कौन अनुचित और पाप के कार्य कर रहा है, उनको अपनी दशा-अंतर्दशा में या साढ़ेसाती के दौरान ही उन सबका फल देता है। शनि को धैर्य, अनुशासन, कर्म और सेवा का कारक कहा जाता है, साथ ही नौकरी और व्यवसाय पर भी शनि का गहरा प्रभाव होता है।

मौजूदा समय में शनि ग्रह काल-पुरुष कुंडली के दसवें भाव में स्थित है। इस भाव को कर्म भाव व्यवसाय का घर, सभी उपलब्धियों, स्थिति, सम्मान और अधिकार का घर माना गया है।
इस भाव को ‘अर्थ’ घर भी कहा जाता है और इस केंद्र में ग्रहों की स्थिति, मौजूदगी और युति के साथ कई शुभ योग बनते हैं।
कुंडली में शनि शुभ हो तो जातक बहुत बड़ी मुश्किलों से भी निकल जाता है। शनि अशुभ हो तो जातक को व्यर्थ के जंजाल एवं विपरीत परिस्‍थितियों में ऐसा उलझाता है कि वह सुलझने के लिए जितना प्रयास करता है, उतना ही उलझता जाता है।

किसी जन्मकुंडली में यदि शनि पहले भाव में बैठा है तो उसकी दृष्टि तीसरे, सातवें और दसवें घर पर होती है। तीसरा घर भाई-बहन, परिजनों का होता है। सातवां घर वैवाहिक जीवन का और दसवां घर आजीविका का होता है। यानी इन तीनों से संबंधित शुभ फल पाने के लिए जातक को बहुत संघर्ष करना होता है।

पहले भाव के शनि की दृष्टि तीसरे भाव पर सबसे ज्यादा शक्तिशाली तरीके से होती है। यानी जातक को भाई-बहनों का सुख, परिजनों का सुख नहीं मिल पाता है। शनि की तीसरी दृष्टि जिस भाव पर पड़ती है, उस भाव का स्वामी यदि कुंडली में नीच राशि का है, कमजोर है तो उस भाव से संबंधित चीजों के लिए जातक को जीवनभर मेहनत करना होती है।

शनि की तीसरी दृष्टि जिस भाव पर पड़ रही है, उस भाव का स्वामी यदि कुंडली में उच्च का है, बलवान है तो तीसरी दृष्टि राहत भी दे सकती है।
इस अवस्था में संघर्ष कम करना पड़ता है, लेकिन मेहनत तो फिर भी खूब करवाता है। और मेहनत के अनुसार ही परिणाम भी देता है।

शनि की तीसरी दृष्टि यदि दूसरे भाव पर पड़ रही है तो जातक को धन की प्राप्ति के लिए दिन-रात दौड़ लगाना पड़ती है। कुंडली में शनि कैसी भी स्थिति में हो शनि ग्रह का दान पूजा करनी चाहिए। किसी भी शनि मंदिरों में शनि की वस्तुओं जैसे काले तिल, काली उड़द, काली राई, काले वस्त्र, लौह पात्र तथा गुड़ का दान करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है।

शनि की तीसरी दृष्टि बहुत संघर्षपूर्ण जीवन बनाती है, शनि की दृष्टि से बचने के कुछ उपाय बताए गए हैं। इससे परेशानियों में कमी आती है।
शनि देव की नियमित सेवा, गरीबों की सेवा, भिखारियों की सेवा, कौढ़ियों की सेवा करने से शनि की तीसरी दृष्टि से कुछ राहत मिलती है।
घर आए अतिथियों का कभी अपमान, तिरस्कार ना करें। अपनी सामर्थ्य के अनुसार जो उनके लिए कर सकें अवश्य करें।
शनिवार को पीपल वृक्ष पर सरसों तेल का दीपक जलाएं।
शनिवार के दिन काले घोड़े को सवा किलो भिगोए हुए चने खिलाने से शनि की दृष्टि से राहत मिलती है।

ऐसे भी कर सकते हैं शनि को मजबूत :
यौगिक क्रिया शीतली और कपालभाति करने पर शनि मजबूत हो जाते हैं। इससे कमर दर्द और पिंडलियों का दर्द भी ठीक हो जाता है। सबसे सीधा सा उपाय है कि आप अपनी चाल को ठीक रखें।
पांव जमीन पर घसीटने की बजाय उठाकर रखें। कोशिश करें कि जूते, चप्‍पल नीचे से घिसें नहीं।
अपना आचरण, कर्म पवित्र रखें तो शनि की कुदृष्टि आप पर नहीं रहेगी।
शनि 23 मई 2021 को मकर राशि में ही वक्री हुए हैं और 11 अक्तूबर 2021 से पुनः मार्गी अवस्था में गोचर करेंगे। इसलिए धनु, मकर और कुंभ राशि वाले जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव बना रहेगा। अपनी स्वराशि में होने के कारण मिथुन और तुला राशि पर शनि ढैय्या चल रही है। शनि के बुरे प्रभाव से मिथुन और तुला राशि वालों को अगले साल मुक्ति मिलने वाली है। 29 अप्रैल 2022 को शनि कुंभ राशि में गोचर करेंगे। शनि के राशि परिवर्तन के साथ ही मिथुन और तुला राशि वालों से शनि ढैय्या का प्रभाव हट जाएगा।

पंडित जी बनारस वाले

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