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दिल्ली

चिकित्सकों के मतलब की खबर जानिये, सुप्रीम कोर्ट का फैसला-डॉक्टरों को चिकित्सकीय लापरवाही के लिये सिर्फ इसलिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि वह मरीज को बचा नहीं पाए

नई दिल्ली। डॉक्टरों को चिकित्सकीय लापरवाही के लिए सिर्फ इसलिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि वह मरीज को बचा नहीं पाए, सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए कहा है कि सिर्फ इसलिए डॉक्टर एक मरीज को नहीं बचा पाया उन्हें चिकित्सकीय लापरवाही के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। लॉ ट्रेंड की खबर के मुताबिक जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस अभय ओका की बेंच ने आगे कहा है कि डॉक्टरों से उचित देखभाल की उम्मीद की जाती है परंतु कोई भी पेशेवर यह आश्वासन नहीं दे सकता है कि मरीज संकट से उबरने के बाद वापस आ जाएगा।

सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार डॉक्टर केवल तभी उत्तरदाई होगा जब या तो किसी व्यक्ति के पास वह अपेक्षित कौशल नहीं है जो होने का वह दावा करता है या उसने दिए गए मामले में उचित क्षमता के साथ प्रयोग नहीं किया जो उसके पास था तत्काल मामले में एक महिला ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग का रुख करते हुए आरोप लगाया है कि इलाज करने वाली डॉक्टर और अस्पताल की ओर से चिकित्सक की लापरवाही के कारण उसके पति की मृत्यु हो गई और उसने कुल 95 16 174 के नुकसान का दावा किया,हालांकि एनडीसीआरसी ने शिकायत को खारिज कर दिया कि सिर्फ इसलिए कि विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक टीम मृतक को नहीं बचा सकी जो लंबी बीमारी से पीड़ित थी, इसे चिकित्सक की लापरवाही नहीं कहा जा सकता।

अपील में सुप्रीम कोर्ट ने एनसीडीआरसी के फैसले से सहमति जताई और कहा कि अनुवर्ती या पोस्ट ऑपरेटिव देखभाल में अस्पताल ने कोई लापरवाही नहीं की, कोर्ट ने जैकब मैथ्यू बनाम पंजाब राज्य का हवाला दिया, जिसमें यह फैसला सुनाया गया था कि कोई भी डॉक्टर मामले में पूरी तरह से ठीक होने का आश्वासन नहीं दे सकता है और निहितार्थ द्वारा दिया गया एक मात्र आश्वासन यह है कि डॉक्टर के पास अपेक्षित कौशल है कोर्ट ने आगे स्पष्ट किया है कि एक डॉक्टर को केवल तभी उत्तरदाई ठहराया जा सकता है जब उसका आचरण उचित स्तर से कम हो जिसके सक्षम डॉक्टर से अपेक्षा की जा सकती है।

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