उत्तराखण्ड
उत्तराखंड शिक्षा विभाग में बड़ी लापरवाही, 40 शिक्षक और कर्मचारी ड्यूटी से नदारद, सख्त कार्रवाई के निर्देश
उत्तराखंड में शिक्षा व्यवस्था की गंभीर स्थिति एक बार फिर उजागर हुई है। राज्य के विभिन्न जिलों में 40 शिक्षक और कर्मचारी बिना किसी सूचना के ड्यूटी से गायब हैं, जिससे विद्यालयों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इस मामले में शिक्षा महानिदेशालय ने कड़ा रुख अपनाते हुए निदेशक प्रारंभिक शिक्षा को एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।
शिक्षा विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि कई जिलों में शिक्षक महीनों से गैरहाजिर हैं। इनमें चमोली, पौड़ी, टिहरी, देहरादून, हरिद्वार, उत्तरकाशी, चंपावत, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और ऊधमसिंह नगर जैसे जिले शामिल हैं। इसके अलावा, कई जिलों में मिनिस्ट्रीयल और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी भी लंबे समय से ड्यूटी से नदारद हैं।
इन शिक्षकों और कर्मचारियों की अनुपस्थिति का सीधा असर विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था पर पड़ रहा है। खासकर दूरदराज के इलाकों में यह समस्या और गंभीर हो गई है, जहां पहले से ही शिक्षकों की भारी कमी है। ग्रामीण क्षेत्रों में कई स्कूलों में छात्रों की संख्या अधिक होने के बावजूद शिक्षकों की अनुपलब्धता से उनकी पढ़ाई बाधित हो रही है।
शिक्षा विभाग में पहले से ही शिक्षकों और कर्मचारियों की कमी है, लेकिन जिनकी तैनाती हो चुकी है, वे भी ड्यूटी पर नहीं लौट रहे हैं। हाल ही में शिक्षकों को उनके मूल तैनाती स्थल पर वापस लौटने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अधिकांश ने इसका पालन नहीं किया। केवल गंभीर रूप से बीमार और विद्या समीक्षा केंद्र से संबद्ध शिक्षकों को ही राहत दी गई थी, जबकि बाकी सभी को अपनी ड्यूटी पर लौटने का आदेश जारी किया गया था।
नई भर्ती प्रक्रिया भी इस लापरवाही के कारण बाधित हो रही है। शिक्षा विभाग में सीआरपी और बीआरपी के 955 पदों के साथ-साथ 2300 से अधिक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती होनी थी, लेकिन प्रयाग पोर्टल में जरूरी बदलाव न होने के कारण यह प्रक्रिया अटकी हुई है। इस वजह से स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों की कमी बनी हुई है, जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है।
शिक्षा महानिदेशालय ने स्पष्ट कर दिया है कि इस लापरवाही को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अनुपस्थित शिक्षकों और कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें उनकी सेवाएं समाप्त करने तक की सिफारिश की जा सकती है। विभाग का कहना है कि शिक्षा व्यवस्था को सुधारने और छात्रों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।
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