आध्यात्मिक
विशेष महत्व है गणेश चतुर्थी के वर्त का:आशा
हल्द्वानी। कात्यायनी संस्था की अध्यक्षा एवं भाजपा महिला मोर्चा की नगर महामंत्री श्रीमती आशा शुक्ला ने कहा कि आज के दिन गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में पूरे भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है। खासतौर पर महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी के नाम से आयोजित किया जाता है। भगवान गणेश हिंदुओं के आदि देवता हैं और इन्हें विवेक, शक्ति और तर्क का देवता माना जाता है। श्रीमती आशा ने कहा भगवान गणेश की ऋद्धि और सिद्धि दो पत्नियां मानी जाती हैं और इन्हें मोदक यानी लड्डू बहुत प्रिय हैं।
उन्होंने कहा ऐसा विश्वास है कि इस दिन भगवान गणेश का विशेष पूजन, अर्चन और स्तवन करने से वे अतिशीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं और उपासक को सब प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति करवाते हैं। आज के दिन प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त होकर यथाशक्ति चांदी, तांबे, मिट्टी या फिर गोबर से भगवान गणेश की प्रतिमा बनानी चाहिए। इसके बाद नया कलश लेकर इसके मुख पर सफेद या लाल वस्त्र बांधकर उसके ऊपर गणेश की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए और मंत्रोच्चारण के साथ विधिवत रूप से इनका पूजन और अर्चन करना चाहिए।
अंत में लड्डुओं का भोग लगाकर इनकी आरती करके प्रसाद वितरित करना चाहिए। शाम के समय फिर से उनका पूजन करके व 21 लड्डुओं का भोग लगाते हुए यथायोग्य दान आदि कर दक्षिणा के साथ प्रतिमा और कलश आचार्य को समर्पित कर देना चाहिए। पूजा के बाद मुख नीचे करके चंद्रमा को अर्घ्य भी देना चाहिए। अर्घ्य देते समय चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए, ऐसा कहा गया है। क्योंकि इस दिन चंद्र दर्शन से कलंकित होना अथवा मिथ्या आरोप लगने का भय होता है। आशा ने सभी को गणेश चतुर्थी के अवसर पर शुभकामनाएं दी हैं।