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उत्तराखण्ड

नैनीताल में भूस्खलन प्रवाहित ठंडी सड़क और बलिया नाला क्षेत्र का मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधू ने किया निरीक्षण

रिपोर्ट भुवन ठठोला

नैनीताल। भूस्खलन प्रभावित ठंडी सड़क और बलिया नाला क्षेत्र को रिपेयर और पर्यटन के दृश्टिकोण से संजोने का प्लान बनाया जा रहा है। आज मुख्य सचिव(सी.एस.)के दौरे के बाद अगर सब निर्देशानुसार चला तो ठंडी सड़क में पाषाण देवी मंदिर के पास के भूस्खलन का विधिवत निराकरण होगा और यहां संभवतः भगवान शिव की विशालकाय प्रतिमा स्थापित की जाएगी।

इसके अलावा बलिया नाले में सुरक्षा दीवार के साथ कुमाऊं की संस्कृति को संजोते हुए बड़े बड़े लाइव म्यूरल लगाए जाएंगे।
नैनीताल की पूरब मुखी अयारपाटा हिल में पाषाण देवी मंदिर और डिग्री कॉलेज गर्ल्स हॉस्टल के बीचों बीच 21 सितंबर 2021 की रात भारी भूस्खलन हो गया था। इसके बाद 2022 में 18 और 19 अगस्त कि विनाशकारी बरसात के बाद इस भूस्खलन ने भीषण रूप अख्तियार कर लिया। इससे सड़क बन्द हो गई और क्षेत्रवासियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसके कई अस्थाई उपाय किये गए जिसके बाद फिलहाल पहाड़ स्थिर है।

नैनीताल में सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता संजय शुक्ला ने सी.एस.को ब्रीफ करते हुए कहा कि इन क्षेत्रों में सुरक्षा के साथ पर्यटन की नजर से भी काम किया जाएगा। यहां कंक्रीट का जंगल न दिखे इसलिए पर्यटन विभाग वहां भगवान शिव की बड़ी मूर्ति स्थापित करेगा, साथ में पर्यटकों के लिए लाइट एंड साउंड शो भी चलाने की व्यवस्था की जा रही है।

उन्होंने बताया कि पहाड़ को बचाने के लिए गेबियन स्ट्रक्चर के साथ जिओ मैट और जिओ सीडिंग भी की जाएगी। तांकि यहां हरियाली बरकरक रह सके। पहाड़ में पानी भरने से रोकने के लिए अंडरग्राउंड पाइप लगाए जाएंगे और 12 मीटर के सैल्फ ड्रिलिंग एंकर लगाकर पहाड़ को रोका जाएगा।
इसके अलावा सी.एस.सुखबीर सिंह संधू ने नैनीताल के ही तल्लीताल में हरीनगर और कृष्णापुर कि पहाड़ी के बीच लगातार हो रहे भूस्खलन को भी जाना। इस भूस्खलन ने क्षेत्रवासियों और प्रशासन समेत सरकार की नींदें उड़ा दी हैं ।

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इस क्षेत्र में सबसे पहले 1898 में भूस्खलन दर्ज किया गया, जब 57 हिंदुस्तानियों और एक ब्रिटिश नागरिक की मौत हो गई थी । कई वर्षों तक यूँ ही भूस्खलन जारी रहने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए नारायण दत्त तिवारी ने यहां का ट्रीटमेंट शुरू कराया।

इसके बाद भी सुरक्षा कार्य भूस्खलन की भेंट चढ़े। अब कई जांचों और ट्रीटमेंट के बाद एक बार फिर यहां की रोकथाम के कदम उठने लगे हैं। सूत्रों की मानें तो बलिया नाले में सुरक्षा दीवार के बाद कुमाऊं की संस्कृति को दर्शाते हुए बड़े बड़े म्यूरल लगाए जाएंगे जिन्हें हवा और जमीन से देखा जा सकेगा।

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