Connect with us
Breaking news at Parvat Prerna

आध्यात्मिक

उत्तराखंड: जानिए क्या है इस रहस्यमयी मंदिर का रहस्य

यहां युगों से कैदखाने में बंद रहते हैं देवता, भक्तों को नहीं देते दर्शन

देवभूमि उत्तराखंड में एक से बड़ कर एक मंदिर हैं जो अपनी अलग ही विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां हर मंदिर की अपनी एक अनोखी मान्‍यता है। यहां ऐसा भी एक मंदिर है,जहां महिला और पुरुष किसी भी श्रद्धालु को मंदिर के अन्दर जाने की इजाजत नहीं है। भक्‍त तो क्‍या मंदिर के पुजारी को भी भगवान के दर्शन करना नसीब नहीं है। पुजारी अपनी आंखों पर पट्टी बांध कर यहां पूजा अर्चना करते हैं। जी हां आपको जान कर हैरानी होगी की यहां पुजारी के अलावा कोई प्रवेश ही नहीं कर सकता, मंदिर में विराजमान नागराज और उनकी अद्भुत मणि। जिसको लेकर क्षेत्र में मंदिर की चर्चा दूर-दूर तक होती है। देवभूमि उत्‍तराखंड में स्थित यह मंदिर चमोली जिले में देवाल नामक ब्लॉक में वाण नामक स्थान पर स्थापित है। राज्य में यह देवस्थल लाटू मंदिर नाम से भी विख्यात है, क्योंकि यहां लाटू देवता की पूजा की जाती है। यहां के वासियों के अनुसार, लाटू देवता उत्तराखंड की आराध्या नंदा देवी के धर्म भाई हैं। दरअसल वाण गांव में प्रत्येक 12 वर्षों में होने वाली उत्तराखंड की सबसे लंबी पैदल यात्रा, श्रीनंदा देवी की राज जात यात्रा का बारहवां पड़ाव है। यहां लाटू देवता वांण से लेकर हेमकुंड तक अपनी बहन नंदा देवी की अगवानी करते हैं। बताया जाता है मंदिर के द्वार साल भर में सिर्फ एक दिन वह भी पूर्णिमा के दिन खुलते हैं।

प्रत्येक 12 सालों में उत्तराखंड की सबसे लंबी श्रीनंदा देवी की राज जात यात्रा का बारहवां पड़ाव वांण गांव है। लाटू देवता वांण गांव से हेमकुंड तक नंदा देवी का अभिनंदन करते हैं। मंदिर का द्वार वर्ष में एक ही दिन वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन खुलता हैं। इस दिन पुजारी इस मंदिर के कपाट अपने आंख-मुंह पर पट्टी बांधकर खोलते हैं। देवता के दर्शन भक्त दूर से ही करते हैं। जब मंदिर के कपाट खुलते हैं तब विष्णु सहस्रनाम और भगवती चंडिका पाठ का आयोजन होता है। मंदिर में नागराज अपनी अद्भुत मणि के साथ हैं विराजमान होते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर में नागराज अपनी अद्भुत मणि के साथ रहते हैं। जिसे देखना आम लोगों के बस की बात नहीं है। पुजारी भी नागराज के महान रूप को देखकर डर न जाएं इसलिए वे अपने आंख पर पट्टी बांधते हैं।

यह भी पढ़ें -  रायपुर महाविद्यालय में हर्षोल्लास से मनाया संविधान दिवस

यह भी मानना है कि मणि की तेज रोशनी इंसान को अंधा बना देती है, न तो पुजारी के मुंह की गंध तक देवता तक और न ही नागराज की विषैली गंध पुजारी के नाक तक पहुंचनी चाहिए। इसलिए वह नाक-मुंह पर पट्टी लगाते हैं। इस रहस्मयी मंदिर के बारे में जानने सुनने के लिये श्रद्धालु दूर -दूर से यहां आते रहते हैं। लेकिन मंदिर के दर्शन नहीं कर पाते हैं। देवभूमि उत्तराखंड में ऐसे ही रहस्मयी अनेक स्थल विराजमान हैं, जिन्हें पर्वत प्रेरणा न्यूज डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर आपको हर रविवार को पढ़ने को मिलेगा।

आइये, आर जे काव्य,ओहो रेडियो, एवं उनकी टीम द्वारा गाया गया यह सुंदर गीत भी इसी के साथ सुनें

Continue Reading
You may also like...

More in आध्यात्मिक

Trending News