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परशुराम मंदिर के विष्णु और बालक राम में कई समानताएं, 8वीं सदी के बीच स्थापित की गई थी मूर्ति
देहरादून : इस संयोग ही कहेंगे कि उत्तरकाशी जनपद के परशुराम मंदिर में स्थापित विष्णु जी की मूर्ति और अयोध्या के राम मंदिर में हाल ही में स्थापित बालक राम की मूर्ति में कई समानताएं हैं।
पुरातत्व विभाग के दस्तावेजों के मुताबिक परशुराम मंदिर में विष्णु जी की यह मूर्ति आठवीं से नवीं सदी के बीच में स्थापित की गई थी। जबकि अयोध्या राम मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को हुई थी। इसके बाद भी इन दोनों मूर्तियों में बहुत समानताएं हैं। पढ़िए विपिन नेगी की रिपोर्ट…
क्यों पड़ा इस स्थान का नाम सौम्यकाशी
पंडित शैलेंद्र नौटियाल बताते हैं कि परशुराम विष्णु जी के अवतार माने गए हैं। स्कन्द पुराण के केदारखंड में वर्णित है कि परशुराम का क्षत्रियों के साथ युद्ध हुआ था। इस दौरान वे बहुत क्रोधित हो गए थे। काफी प्रयास के बाद भी उनका क्रोध शांत नहीं हुआ था। इस पर भगवान शिव ने उन्हें हिमालय के उत्तरकाशी में उन्हें तपस्या करने को कहा था।
इसके बाद परशुराम ने वरुणावत पर्वत के विमलेश्वर मंदिर में तपस्या की थी। जिसके बाद उनका क्रोध शांत हुआ और सौम्य हो गए थे। इस पर भगवान काशी विश्वनाथ ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि इस स्थान को सौम्यकाशी के नाम से जाना जाएगा। परशुराम द्वारा यहां स्वयंभू शिवलिंग पर मंदिर का निर्माण किया गया था।
ये हैं समानताएं
-दोनों में विष्णु के दस अवतारों की आकृतियां उकेरी गई हैं। दोनों मूर्तियों की विहंगमता और हावभाव भी एक जैसे ही हैं। दोनों ही मूर्तियों में कमलासन बना हुआ है।
-दोनों ही मूर्तियों में भगवान खड़ी मुद्रा में हैं। दोनों मूर्तियां काले पत्थर की हैं।