Connect with us

Uncategorized

आध्यात्मिक आस्थाओं से जुड़ा आदि कैलाश पर्यटन का नया आयाम

पिथौरागढ़। जिले के अंतिम छोर में भारत सीमा से लगे भारत के अंतिम गांव कुटी से लगभग 10 किलोमीटर आगे भोलेनाथ की तपोस्थली आदि कैलाश स्थित है आदि कैलाश जो 15000 फिट ऊंचाई पर स्थित है कैलाश मानसरोवर के बाद पंच केदारों में सबसे अग्रणी केदार माना जाता है उसके दर्शन के साथ यहां पर ब्रह्मा पर्वत, पांडव पर्वत आदि के दर्शन भी होते हैं आध्यात्मिक आस्थाओं से जुड़े आदि कैलाश से 1.5 किलोमीटर आगे पार्वती ताल व मां पार्वती का मंदिर भी स्थित है।

उत्तराखंड में पर्यटन को विकसित करने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाने की आवश्यकता है। दारमा घाटी और व्यास घाटी में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं । आज आदि कैलाश एवं ओम पर्वत के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है जिसमें महत्वपूर्ण योगदान हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी का है जिन्होंने आदि कैलाश में ध्यान लगाकर इस क्षेत्र को धार्मिक एवं आध्यात्मिक पर्यटन से जोड़ दिया।

प्रदेश सरकार को कुटी , नाबी, गुंजी और नपल्चू जैसे गांवों में सुविधायुक्त होमस्टे बनवाने चाहिए क्योंकि वहां पर आवासीय सुविधा बहुत ही कम हैं। साथ ही कुमाऊं मंडल विकास निगम एवं पर्यटन से जुड़ी संस्थाओं को आमंत्रित कर इस क्षेत्र में फाइबर हट, टेंट कॉलोनी विकसित करने के लिए आमंत्रित करना चाहिए।

व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष नवीन वर्मा ने बताया कि वे अपने परिजनों के साथ 10 जून को आदि कैलाश दर्शन के किए।उच्च हिमालयी क्षेत्र ने जहां प्रकृति हमें धार्मिक एवं आध्यात्मिक पर्यटन से जोड़ा है वहीं उच्च हिमालयी सौन्दर्य हमें अपनी ओर आकर्षित करता है। दारमा घाटी में पंचाचुली बेस कैंप के साथ साथ नागलिंग, वालिंग जैसे खूबसूरत बुग्याल भी पर्यटकों का मन मोह लेते हैं।

यह भी पढ़ें -  उत्तराखंड बोर्ड की परीक्षाएं 15 फरवरी के बाद होगी

More in Uncategorized

Trending News