Connect with us
Breaking news at Parvat Prerna

Uncategorized

ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा का मामला, हाईकोर्ट में अब 12 को होगी सुनवाई, मुस्लिम पक्ष ने की केस खारिज करने की मांग

इलाहाबाद हाई कोर्ट में वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में व्यास जी तलगृह में पूजा की अनुमति के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई आज भी करीब दो घंटे चली। अब 12 फरवरी को सुबह 10 बजे से फिर यह प्रकरण सुना जाएगा। पहले मंदिर पक्ष की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने पक्ष रखा फिर मस्ज़िद पक्ष से एसएफए नकवी ने। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने सुनवाई की ।

मंदिर पक्ष की तरफ से कहा गया कि वर्ष 1993 से साल में एक बार पूजा की जाती रही है। जिला जज की अदालत के 17 और 31 जनवरी के आदेश को विधि अनुरूप बताया गया । कहा कि 17 जनवरी के आदेश (रिसीवर की नियुक्ति) में जो कुछ भी छूट गया था, यह अदालत को बताया गया तो उसे 31 जनवरी के आदेश (पूजा की अनुमति) में शामिल किया गया।


मस्जिद पक्ष का कहना है कि 31 जनवरी का आदेश बिना अर्जी के दिया गया है। न्यायमूर्ति ने जब यह कहा कि ऐसे कई निर्णय हैं जो यह प्रदान करते हैं कि न्यायालय की स्वत: संज्ञान लेने की शक्ति पर कोई रोक नहीं हैं तब मस्जिद पक्ष से वरिष्ठ अधिवक्ता एस एफ ए नकवी ने कहा कि आदेश में यह नहीं लिखा है कि यह स्वप्रेरणा से पारित किया जा रहा है, आदेश हवा में है। डीजे का आदेश क्षेत्राधिकार से बाहर है। आवेदन के अभाव में आदेश पूरी तरह से अधिकार क्षेत्र से बाहर है और रद किया जा सकता है।

नकवी ने यह भी दावा किया कि 1993 में उन्होंने (व्यास परिवार ने) पूजा का अधिकार छोड़ दिया। मस्जिद पक्ष का कहना था कि दीन मोहम्मद मामले से यह पता नहीं चलता है कि वहां कोई तहखाना है, जिस पर मुसलमानों के अलावा किसी और का कब्जा है।

यह भी पढ़ें -  भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की नियमित मॉनिटरिंग करें अधिकारी, बार-बार हो रहे भूस्खलन का किया जाए स्थायी समाधान

नकवी ने कहा, वे ( मंदिर पक्ष वाले) शुरू से ही राज्य सरकार के खिलाफ राहत की मांग कर रहे हैं, राज्य सरकार पर आरोप है कि बैरिकेडिंग की गई। हमें पार्टी बनाया गया लेकिन हमारे खिलाफ कोई राहत नहीं मांगी गई।’ उन्होंने कहा कि मुकदमा खारिज किए जाने योग्य है, अब सूट चले न चले अब क्या। संपत्ति की प्रकृति बदल दी गई है। सूट फाइल हुआ। ट्रांसफर करके अपना पास मंगवा लिया, और ऑर्डर पास कर दिया।


कोर्ट को यह तय करना है कि बिना अर्जी पूजा का अधिकार देने वाला आदेश विधिक है अथवा नहीं? अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी का कहना है कि बिना अर्जी पूजा का अधिकार दिया गया है । वाराणसी के जिला जज एके विश्वेश ने सेवानिवृत्त के तिथि 31 जनवरी को पूजा का आदेश दिया था। उसे ही चुनौती दी गई है।

More in Uncategorized

Trending News