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उत्तराखण्ड

जिले की मांग को लेकर यहां फिर शुरू हुआ आन्दोलन

रानीखेत । रानीखेत जिले की मांग को लेकर मंगलवार सायं विभिन्न संगठनों द्वारा मशाल जुलूस निकालकर आन्दोलन की शुरुआत करते हुए सभी संगठनों से जुड़े नागरिकों ने यहां सुभाष चौक पर इकट्ठा होकर मशाल जुलूस निकाल सरकार को जगाने की कोशिश की।

विभिन्न संगठनों से जुड़े नागरिकों ने बताया कि 15 अगस्त 2011 को चार जिले रानीखेत, डीडीहाट, यमुनोत्री तथा कोटद्वार की घोषणा होने के बाद आज तक सरकार ने इन जिलों को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई। जिसके विरोध में चारों जिलों में बनी संघर्ष समितियों ने एक साथ मशाल जुलूस निकालकर सरकार को जगाने का प्रयास किया। सर्वप्रथम सुभाष चौक से जुलूस गांधी चौक होते हुए सादर बाजार, विजय चौक तक पहुंचा। जहां पर एक सभा का आयोजन करते हुए, बक्ताओ ने कहा कि प्रदेश में निकट भविष्य में आचार संहिता लागू होने वाली है, इसलिए सरकार को चाहिए की शीघ्र ही नए जिलों के संबंध में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा जारी किए गए चारों जिलों के गठन संबंधी शासनादेश को पुनर्जीवित करना चाहिए।

उन्होंने जोर देकर कहा कि जब तक रानीखेत को जिला नहीं बनाया जाएगा तब तक यह आंदोलन इसी प्रकार चलता रहेगा। इस अवसर पर मोहन नेगी, कमलेश बोरा, नरेन्द्र रौतेला, कुलदीप कुमार, विमल भट्ट, मदन कुवार्बी, गुड्डू भगत, जगदीश जोशी, मनोज कुमार पाण्डेय सहित सभी संगठनों के नागरिक गण उपस्थित रहे।

इधर रानीखेत विधायक करण माहरा ने पूर्व में घोषित जिलों के विषय में विधान सभा सत्र में प्रश्न उठाकर कहा कि पूर्व में घोषित चारों जिलों की घोषणा सरकार जल्द से जल्द करे। उन्होंने कहा की यह विषय जनहित से जुड़ा होने के साथ ही छोटी छोटी प्रशासनिक इकाइयां बनाए जाने से संबंधित होने के कारण अत्यंत लोक महत्व का है। रानीखेत विधायक करण माहरा व पुरोला विधायक राजकुमार ने पत्र के माध्यम से नियम 58 के अन्तर्गत सदन की सम्पूर्ण कार्यवाही स्थगित कर चर्चा की मांग की।

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बलवन्त सिंह रावत

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