कुमाऊँ
इस क्षेत्र में बना बाघ का आतंक,दहशत
दन्या (अल्मोड़ा)। विकास खंड धौलादेवी के ग्रमीण क्षेत्रों में बाघ की दहशत बनी हुई है। कुछ क्षेत्रों में बाघ दिखने का वीडियो भी सामने आ रहा है। जिसमे बाघ को चलते हुए दिखाई दे रहा है। लगातार बाघों का जंगलों से आवादी वाले क्षेत्रों में आना मानव जीवन के लिए अशुभ संदेश है। आज अधिकांश जंगली जानवरों ने आवादी क्षेत्र व कस्बों में अपना अड्डा जमा लिया है।
पर्यावरण संरक्षण विभाग व वन विभागों में वनों के संरक्षण के नाम पर खाना पूर्ति की जा रही है। जबकि वनों को व्यवसाय के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। नर्सरी लगाने के नाम पर पर करोड़ो की चपत सरकार को लगाई जा रही है। क्षेत्र के अधिकांश वनों में चीड़ के पेड़ों के अलावा कोई भी दूसरा पौधा दिखाई नही देता है। क्योंकि चीड़ को मनमाने तरीके से काटा जा सकता है। और इसे लगाने के लिए किसी विभाग की जरूरत भी नही होती। जंगल मे रहने वाले जीव जंतुओं के छुपने के लिए ना तो कोई झाड़ियां रह चुकी हैं ना ही वन्य फल वाले पेड़। इसलिए जानवरों का पलायन ग्रमीण क्षेत्रों में हो रहा है। जहाँ ग्रमीणों के फसलों, फलों व सागसब्जीयों को नुकसान पहुचाया जा रहा है।
बाघों का भी आवादी क्षेत्र में आकर पालतू जानवरों को नुकसान पहुचना आम बात बन चुकी है। कभी गाय, बैल, बकरी व कुत्तों को निवाला बनाया जा रहा है। विकास खंड धौलादेवी क्षेत्र में गोबिंदपुर, धार, छंटाना में दिखाई दिया। गौली गांव में बाघ ने कुत्ते पर हमला किया। छोटी मादा कुतिया ने पांच दिन पहले बच्चों को जन्म दिया था।
सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद गोपाल ने बताया कि अधिकांश वन क्षेत्रों में अतिक्रमण के चलते वनों को नुकशान पहुच रहा है। भूमि माफिया जिस तरह वनभूमि पर अतिक्रमण कर रहा है उससे वनों के क्षेत्रफल में लगातार कमी हो रही है और वनों पर पलने वाले पशु मानव आबादी कि ओर आ रहे हैं . वनों को लेकर जैसा कागजों में बताया जाता है वैसी स्तिथि नहीं है और भूमि माफिया , खनन माफिया और लकड़ी माफ़ी बेरोकटोक अपना काम कर न रहे होते तो वन और वन्य जीव एवं मानव आबादी सुरक्षित होते।