उत्तराखण्ड
उच्च न्यायालय ने राज्य में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर की सुनवाई
भुवन ठठोला नैनीताल
नैनीताल। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राज्य में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की । मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने अगली सुनवाई हेतु 17 अगस्त की तिथि नियत की है। आज सुनवाई पर राज्य सरकार की तरफ से प्रगति रिपोर्ट पेस कर कहा कि सरकार ने कई क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस की व्यवस्था कर दी है और अन्य क्षेत्रों में इस व्यवस्था को लागू करने के लिए सरकार प्रयास कर रही है।
सरकार का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई हेतु अगस्त माह की तिथि नियत की है। 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने भी नवीन चन्द्र बनाम राज्य सरकार केश में इस व्यवस्था को समाप्त करने की आवश्यकता समझी थी। जिसमें कहा गया कि राजस्व पुलिस को सिविल पुलिस की भांति ट्रेनिंग नही दी जाती यही नही राजस्व पुलिस के पास आधुनिक साधन, कम्प्यूटर,डीएनए और रक्त परीक्षण, फोरेंशिक जाँच ,फिंगर प्रिंट जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नही होती है। इन सुविधाओं के अभाव में अपराध की समीक्षा करने में परेशानियां होती है।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि राज्य में एक समान कानून व्यवस्था हो। जो नागरिकों को मिलना चाहिए। जनहित याचिका में कहा गया कि अगर सरकार ने इस आदेश का पालन किया होता तो अंकिता मर्डर केश की जाँच में इतनी देरी नही होती। इसलिए राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त किया जाय। इस मामले में समाधान 256 कृष्णा विहार लाइन नं एक जाखन देहरादून वालों ने जनहीत याचिका दायर की है।