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आध्यात्मिक

क्या है निधिवन का रहस्य,जहां पेड़ बन जाते हैं गोपियां

भगवान श्रीकृष्ण की लीला अपरम्पार है। उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर में निधिवन जगह है। जहां आज भी भगवान श्रीकृष्ण की अचंभित करने वाली लीला देखने को मिलती है। आखिर क्या है निधिवन का रहस्य आइये जानते हैं।
मथुरा, वृंदावन में निधिवन एक विशाल वन है, जिसमें आज भी असंख्य पेड़ हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कहते हैं इसकी महत्ता बहुत पुरानी है जो भगवान श्री कृष्ण के समय से ही जुड़ी हुई है। यहाँ रहने वाले ब्रजवासियों के अनुसार भगवान कृष्ण आज भी यहाँ रासलीला रचाने आते हैं, जैसा कि आप जानते हैं भगवान श्री कृष्ण की गोपियों के साथ रास रचाने की कथाएं प्रचलित हैं। यह वही स्थल है जब नन्हे कान्हा अपने बचपन में वृंदावन-गोकुल की गलियों में बांसुरी बजाया करते थे, बांसुरी की मधुर धुन सुनकर आसपास की गोपियाँ व माता राधा दौड़ी-दौड़ी चली आती थी। इसी कारण यह स्थल आज भी कृष्ण भक्तों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है। यह स्थान सुंदर एवं रमणीय है। बताते हैं यहां जो भी पेड़ दिखाई देते हैं वह अपने आप में विचित्र हैं। यहां के सभी पेड़ों की बनावट अलग ही है, उनकी टहनियां भी सीधी न होकर मुड़ी, टेड़ीमेड़ी घुमाउदार हैं। सामान्यतया विश्व में सभी पेड़ों की शाखाएं नीचे से ऊपर की ओर जाती हैं किन्तु निधिवन में सभी पेड़ों की शाखाएं ऊपर से नीचे की ओर जाती हैं।यह चीज़ अपने आप में ही अनोखी है।

बताते हैं कि सूर्यास्त के बाद पेड़ों की यही शाखाएं गोपियों में परिवर्तित हो जाती हैं जिनके साथ भगवान श्री कृष्ण रासलीला रचाते हैं। सूर्योदय होने से पहले ही वे फिर से अपने रूप में आ जाती हैं। यही नहीं यहां अनगिनत तुलसी के पौधे मिलते हैं, आश्चर्यजनक वाली बात तो यह हैं कि यहां कोई भी तुलसी का पौधा अकेला नही हैं अर्थात हर तुलसी के साथ एक और तुलसी का पौधा अवश्य दिखाई देता है। यानि कोई भी तुलसी का पौधा अकेला नहीं दिखाई देगा।
यहां सभी तुलसी के पौधे जोड़ों में दिखाई देंगे। जो असलियत में भगवान श्रीकृष्ण व राधा के प्रेम को रेखांकित करते हैं। तुलसी के पौधों का ऐसा संगम आपको केवल इसी वन में देखने को मिलेगा। इसके अलावा यहां एक देखने योग्य रंग महल भी है जहां भक्तों द्वारा राधा रानी के साज-सज्जा का सामान चढ़ाया जाता है। इसे विशेषकर महिलाएं चढ़ाती हैं। कहते हैं कि रासलीला के समय भगवान कृष्ण इसी रंग महल में विश्राम करते हैं। इसलिए सूर्यास्त से पहले हर रोज भगवान कृष्ण के लिए बिस्तर को सजाया जाता है। एक लौटा पानी, दातुन, पान व अन्य सामग्री भी रख दी जाती है। सुबह के समय जब रंग महल के द्वार खोले जाते हैं तो वहां सब सामान प्रयोग किया हुआ मिलता है व बिस्तर पर भी सलवटे आई हुई दिखाई देती हैं, जैसे कि उस पर कोई बैठा था। इसे देखने के लिए आप सूर्योदय होने से पहले ही निधिवन पहुँच जाए, यहां आपको काफी समय तक प्रतीक्षा भी करनी पड़ सकती है।पंडित, पुजारी द्वारा 5 से 6 बजे के बीच निधिवन के द्वार खोले जाते हैं। रंगमहल में लगे सात ताले पंडित जी आपके सामने खोलेंगे और भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा प्रयोग किया गया सामान आप सभी को दिखाएंगे।

इसके साथ ही यहां आपको एक कुंड भी देखने को मिलेगा जिसे ललिता कुंड के नाम से जाना जाता है। मान्यता के अनुसार द्वापर युग में जब भगवान श्री कृष्ण रासलीला रचा रहे थे तब अचानक उनमें से एक गोपी ललिता को प्यास लगी। ललिता राधा की प्रिय सहेली थी जो कान्हा और राधा को ब्रिजवासियों की नज़रों से बचाकर मिलने में सहायता करती थी। तब भगवान श्री कृष्ण ने वही एक कुंड का निर्माण कर दिया जिसे आज भी ललिता कुंड के नाम से जाना जाता है। बता दे कि शाम के समय निधिवन जाने को मनाही है। यह श्रद्धालुओं के लिए केवल दिन में ही खुला रहता है। सूर्योदय से पहले व सूर्यास्त के बाद यहां किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है। सूर्यास्त से पहले ही इस वन को खाली करवा कर बंद कर दिया जाता है। सूर्यास्त से पहले मंदिर के पुजारी भी इस जगह को छोड़कर चले जाते हैं। आपको दिन में कई पक्षी व बंदर इस वन में दिख जाएंगे किन्तु शाम होने के साथ-साथ वे भी इस वन को छोड़कर चले जाते है। कहा जाता है रात्रि होते ही यहा स्वयं भगवान श्री कृष्ण अवतार लेते हैं और गोपियों के संग रासलीला रचाते हैं।

कहा जाता है जो कोई भी चोरी चुपके यहा रात को रुका, अगले दिन या तो उसकी मृत्यु हो गयी या उसका मानसिक संतुलन बिगड़ा हुआ मिला। या फिर कुछ लोग अंधे, बहरे व गूंगे हो गए थे। इसलिये यहां रात को किसी के भी रुकने की अनुमति नहीं है। अगर आप निधिवन देखने जाएंगे तब आसपास के घरों को देखकर आपके मन में एक और बात आएगी कि इन घरों की छत या बालकनी से रात में निधिवन का नजारा देखा जा सकता है। लेकिन हैरान करने वाली तो बात यह है कि सूर्यास्त के बाद निधिवन में इतना गहरा अँधेरा हो जाता है और साथ ही वहां के पेड़ों पर एक धुंधली सफेद परत सी छा जाती है और निधिवन के अंदर की कोई भी गतिविधि उन घरों से नही देखी जा सकती है।
इसका प्रमाण देखने के लिए आप सुबह 5 बजे निधिवन पहुँच जाए जब सूर्योदय नही हुआ होता हैं। उस समय आप निधिवन के बाहर के पेड़ों को भी देख लीजियेगा, आपको समझ आ जाएगा। आप वही खड़े रहिएगा और सूर्योदय होने और रोशनी आने की प्रतीक्षा कीजियेगा। जैसे ही सूर्योदय हो जाएगा, तब एकदम से पेड़ों से धुंधली परत हट जाएगी। इसके अलावा वहां जो एक भी बंदर या पक्षी नही दिखाई दे रहा था, वह सब भी एकसाथ एकदम से उमड़ पड़ेंगे। निधिवन का यह चौंकाने वाला रहस्य सदियों से चला आ रहा है। एक बार जरूर यहां देखने जाएं।

अगर आप यहां घूमने जाने का मन बना रहे हैं तो आप इस वन का दोपहर में भ्रमण कर सकते है। दोपहर का समय इस वन में घूमने का सबसे उत्तम समय है। क्योंकि उस समय मथुरा वृंदावन के सभी मंदिर बंद हो जाते हैं।जो शाम के 4 बजे के बाद खुलते हैं। इसलिये इस बीच का समय आप निधिवन में बिता सकते हैं और वहां की सुंदरता का आनंद उठा सकते हैं।
मौसम के अनुसार इसके पट सुबह 5 से 6 बजे के बीच खुलते हैं। 6 बजे के पास यहाँ मंगला आरती होती हैं। सूर्यास्त से कुछ समय पहले यहां पट बंद कर दिए जाते हैं।
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