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आध्यात्मिक

नंदा देवी क्षेत्र से ब्रह्मकमल लाकर माँ नंदा को अर्पित किया

गिरगांव (पिथौरागढ़ ) मुनस्यारी के मल्ला-तल्ला जोहार में हर साल नंदाष्टमी महोत्सव हर्षोउल्लास के साथ बनाया जाता है। पिछले साल कोरोना के चलते अष्टमी के दिन सिर्फ दिया बत्ती किया गया था। इस बार पांच दिन की कठिन यात्रा कर नंदा कुंड जाकर कुंड क्षेत्र से लाए गए ब्रह्मकमल मां नंदा को चढया गया। ब्रह्मकमल लेकर आए भक्तों, मंदिर के पुजारी और देवडांगरों ने पुष्प चढ़ाने के बाद झोड़ा और साथ ही भजन भी गाए।
नंदा कुंड और हिरामणी ग्लेश्वर से लाये गए ब्रह्मकमल मां नंदा को चढ़ाया जाता है। चढ़ाये जाने वाला यह ब्रह्मकमल उच्च हिमालय क्षेत्र से लाया जाता हैं। गिरगांव, बिर्थी, राथी के उच्च हिमालयी गांवों के ग्रामीण नंदा देवी क्षेत्र में स्थित नंदा कुंड जाते हैं। गिरगांव के भक्त पांच दिन की अवधि में 16/17 किलो वजन के साथ लगभग 90 किमी अति दुर्गम क्षेत्र की ओर पैदल चलकर ब्रह्मकमल लेकर आए। कुंड में स्नान, परिक्रमा पूजा अर्चना कर हीरामणि ग्लेशियर क्षेत्र से ब्रह्मकमल धूप लेकर लौटे।

गिरगांव,बला, राथी स्थित नंदा देवी मंदिर में चढ़ाए गए ब्रह्मकमल पांच दिन की शुचिता के साथ लंबी और अति दुर्गम पैदल यात्रा कर लाए गए ब्रह्मकमल तल्ला जोहार के गिरगांव, बिर्थी, राथी, नंदा देवी मंदिर में नंदा मंदिरों में नंदा देवी को विधि विधान के साथ चढ़ाए जाते हैं।

रात को झोड़ा , चांचरी का गायन किया जाता है हर साल नंदाष्टमी पर हजारों की संख्या में भीड़ दिखने को मिलती है दो दिवसीय मेले में रात भर झोड़ा,चांचरी का गायन होता रहता है। यहां नंदा देवी क्षेत्र से लाए गए ब्रह्मकमल ही चढ़ते हैं जिलेभर में नंदाष्टमी मात्र मुनस्यारी मल्ला-तल्ला जोहार क्षेत्र में ही मनाई जाती है। मुनस्यारी में भी नंदा देवी क्षेत्र के मल्ला जोहार और उससे लगे तल्ला जोहार के कुछ गांवों में मनाया जाता है। तल्ला जोहार के प्रतिवर्ष तीन गांवों के ग्रामीण ब्रह्मकमल लाने उच्च हिमालय क्षेत्र में जाते हैं।

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प्रसाद के रूप में ब्रह्मकमल की पंखुड़ियां दी जाती हैं नंदा की मूर्ति पर चढ़ाए गए ब्रह्मकमल की पंखुड़ियों को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को दी जाती है। भक्तगण इन पंखुड़ियों को अपने घरों के मंदिर में रखते हैं। माना जाता है कि नंदा के प्रसाद से सारे अनिष्ट दूर होते हैं। इस बार भी विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना कर नंदा को ब्रह्मकमल के साथ ककड़ी मक्का अर्पित किया जाता है। गिरगांव में होने वाली नंदा अष्टमी मेले के लिए ब्रह्मकमल लेने ग्रामीणों का दल भैसी खरक, सुदुमखांन, नन्दा कुण्ड सहित कई अन्य पड़ावों में विश्राम करते है।

ग्रामीणों का दल नंदा कुंड में स्नान के बाद देवी को पूजा होम गोदान 4 घंटे की पूजा अर्पित करने के बाद धूप व ब्रह्मकमल लाते है । इसके बाद नंदा देवी की पूजा अर्चना करते है। यहां पर ग्रामीण रातभर जागकर पूजा अर्चना करेंगे। इस दौरान , शास्त्री शेखर दिवेद्वी, ढंगरिया देव सिंह दानू , प्रेम सिंह, रूप सिंह दुवडिया, मोहन सिंह मेहता, राजू देवली, धर्मा वाछमी , मनोज देवली,तिलोक सिह,हरीश सिह,कमलेश सिंह दानू, पर्वत प्रेरणा से तीर्थराज मेहता सहित कई लोग शामिल रहे।

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