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कुमाऊँ

पंचम नवरात्रि पर स्कंदमाता का विधिवत पूजन, मंदिरों व घरों में हुए विभिन्न अनुष्ठान

दन्या(अल्मोड़ा)। चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन रविवार को भक्तों ने देवी मां के पंचम स्वरूप स्कंदमाता का पूजन सुबह सवेरे ही घरों व मंदिरों में किया गया। इस मौके पर भक्तों ने सुख समृद्धि की कामना की। पंचम नवरात्र के दिन मां दुर्गा के पांचवे रूप स्कंदमाता की पूजा की जाती है। मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा करने से मंदबुद्धि भी ज्ञानी हो जाता है। स्कंद कुमार यानी स्वामी कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से जाना जाता है।

स्कंदमाता की गोद में उनके पुत्र स्कंद शोभायमान हैं। स्कंदमाता को मां दुर्गा का ममतामई रूप भी कहा गया है। माना जाता है कि नवरात्र में मां के इस रूप की पूजा करने से माता संतान का सुख आशीर्वाद देती है। इसका निर्माता के विग्रह में भगवान स्कंद बाल रूप में उनकी गोद में विराजित है। देवी मां की चार भुजाएं हैं, दाएं तरफ की ऊपर वाली भुजा में स्कंद को गोद में लिए है और नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प सुशोभित है। बाएं तरफ ऊपर वाली भुजा में वरमुद्रा है और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। इनका वर्ण एकदम श्वेत है।

कमल के आसन पर विराजमान है इसलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। कि इनका वाहन सिंह है। चैत्र नवरात्रि में क्षेत्र सहित आसपास के सभी मंदिरों में श्रद्धालु देवी मां की भक्ति में डूबे हुए नजर आए और मंदिरों में मां भगवती के भजन कीर्तन का सिलसिला जारी है।

प्रस्तुति-कैलाश पाण्डे

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