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उत्तराखण्ड

बोर्ड परीक्षाएं- उत्सवों का अवसर

जीवन में उत्सव रंग भर देते हैं। और ये रंग भरने का अवसर किसी को मिल जाय तो जीवन वन जाता हैं। परीक्षाएं भी एक उत्सव हैं जिसे हम मेहनत के रंगों से भरकर सफल होने का अवसर पाते हैं। देश मे विभिन्न बोर्डो में आजकल परीक्षाएं चल रही हैं। 10 वी व 12 वी के बच्चों में इसको लेकर कुछ खुशी हैं तो कुछ तनाव है। अपने पाल्यों को देखकर माता-पिता, अभिवावक भी कोई कम तनाव में नही हैं। बच्चों की परीक्षाएं का पंच सब तक पहुच रहा हैं। ये अलग बात हैं की किसी को कम तो किसी को ज्यादा अनुभव हो रहा है। कहने का तात्पर्य हैं समाज का एक वर्ग चिंतित हैं।
बोर्ड परीक्षाएं बच्चों में बेहतर ढूढ़ने की एक कवायद है जो अंकों के माध्यम से बाहर निकलती है या हम तक पहुचती हैं। हम सिर्फ अंक देख पाते हैं। जबकि यह अर्द्ध सत्य है। कम से कम यह तो पूर्ण नही हैं। पूर्ण है बच्चें का परीक्षाओं को ईमानदारी से देना। ये तभी संभव हैं जब तनाव, चिंता, संशय,भ्रम , फोबिया से हम बच्चों को उप्पर उठा सकें। बच्चो के संग बैठकर हमें बात-चीत करनी होंगी।

आज सारी व्यवस्था , मनोवैज्ञानिक,शिक्षा विशेषज्ञ बाल केंद्रित हैं। यानी हमारा पूरा सिस्टम बाल मैत्रीपूर्ण हैं। किसी भी दिशा से अंदर घुसिए तो आपको बच्चों की हित की ही बातें सुनाई पडेंगी, दिखाई देंगी और लगेंगी भी। इनसे सिद्ध होता है परीक्षा तनाव का कारण नही बल्कि आगे बढ़ाने का अवसर हैं। परीक्षाएं बिल्कुल एक दही को मथ कर मट्ठा बनाने वाले मशीन की तरह हैं।जो मक्खन और घी जैसे पौस्टिक व ताकतवर चीज़ का सृजन, निर्माण करती हैं। सीधे शब्दों में कहे तो परीक्षा सृजन करती हैं। निर्माण करती है एक और अलग दुनिया की जिसमे बच्चे पहले से ज्यादा खुश हो, ऊर्जावान हो और आनन्दित भी। नई शिक्षा नीति भी सृजन व रचनात्मकता की ही पैरवी करती हैं। इसीलिए परीक्षाओं को लेकर अनावश्यक भय, डर, फिक्र, असंतुलन और शोर कम कर देना चाहिए। परीक्षाओं से खार मत खाइए, इनकी खैरत लेते रहिए, तनाव मत पालिए,इनसे मिलते रहिए,चिंता छोड़िए, चिंतन शुरू कर दीजिए,आपा मत खोइए, बैलेंस बनाकर रखिये। परीक्षाएं अवसर है आगे बढ़ने का ,बढ़ाने का, इनको जाया मत कीजिये। इनको दीजिये, उल्लास से , उमंग से और मस्ती से भी। क्योकि हम तभी सूंदर लगते है और दिखते भी हैं जब हम खुश होते हैं। और जब खुश होते होते है तो हमारा बेहतर बन रहा होता है। परीक्षाएं इन्ही बेहतर को बाहर लाती है और बेहतर बनाती भी हैं और इस बेहतर से हमारा परिचय भी कराती है। इसीलिए अपने से मिलने का मौका भी परीक्षा देती है। किसी उत्सव की तरह ये हमें आह्लादित करती है जिसकी परिणित सदा अच्छी होती है। अंकों की चिंता किये बिना परीक्षा दीजिए। इन्ही से आगे का संसार बन रहा होता हैं।

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ध्यान रखें परीक्षाओं में कुछ प्रश्न आपको आयंगे और हो सकता है कुछ नही भी आये। हमें लगातार सही दिशा में कठिन परिश्रम करते रहना पड़ेगा। यही से आत्मविश्वास उपजेगा जो हमें सफलता तक जरूर पहुचायेगा। और एक बात जो यहाँ पर कहनी जरूरी है कि अंक जीवन के पर्यायवाची नही होते है। बल्कि जीवन में अंक होते है ना कि जीवन अंको के लिए। जीवन अंको की गिनती से बहुत बड़ा होता है। अंक तो गिनकर खत्म हो जाते है, जीवन नही।

प्रेम प्रकाश उपाध्याय “नेचुरल” उत्तराखंड
(लेखक शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हैं, देश के प्रतिष्ठित स्कूलों,नवोदय विद्यालयों सहित वर्तमान में माध्यमिक शिक्षा में कार्यरत है)

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