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उत्तराखण्ड

जल जीवन मिशन से उत्तराखंड हाई कोर्ट ने दोबारा मांगा स्पष्टीकरण

पिथौरागढ़। जलजीवन मिशन द्वारा बिना कारण बताए क्रियान्वयन मे काम कर रही सहयोगी संस्थाओ की तीसरी सूची को निरस्त करने और भारत सरकार की गाइड लाइन को किनारे कर ठेकेदारों से काम करवाने के निर्णय को असंवैधनिक करार देने वाली जनहित याचिका का सही जबाब नही देने की बात पर उच्च न्यायालय ने आज दुबारा उत्तराखंड सरकार का जबाब तलब किया है।

कोर्ट ने 15 दिनों के अंदर लिखित रूप से मामले पर स्पस्टीकरण मांगा है।याचिका मे सरकार पर स्थानीय पँचयतो को काम न देकर ठेकेदारों से काम करवाने,चयनित सहयोगी संस्थाओ को बिना कारण बीच मे हो निरस्त कर देने,और भारत सरकार की गाइडलाइन का उलंघन कर अपने कानून बना देने की बात को असंवैधनिक करार देते हुए सरकार से कारण बताओ नोटिस मंगा था,लेकिन मिशन की ओर से सरकार ने कोई जबाब नही दिया,याचिका 29 सहयोगी संथाओं की ओर से दायर की गई थी,हाईकोर्ट की एडवोकेट स्निग्धा तिवारी और पी ,सी तिवारी ने इस याचिका पर बहस की थी।अब पुनः कोर्ट ने कड़ी चेतावनी देते हुए पन्द्रह दिनों के अंदर इस मामले पर जबाब मंगा है।
इधर आशा कार्यकर्ताओं को उत्तराखंड में आपदा राहत से बचाव की शिक्षा दे रहे है हिमालय अध्ययन केंद्र चंपावत के प्रशिक्षयक।

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