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उत्तराखण्ड

साहित्य व समाज के बड़े हिस्सेदार हैं – मोहन चंद्र जोशी

बागेश्वर, गरुड़,उत्तराखंड। गुलजार साहब का एक शेर याद आ रहा है –
‘पागल होना भी जरूरी है जिन्दगी में।
समझदार लोग खुलकर हसंते कहाँ हैं।।’
हँसने, हँसाने के लिए बड़ा जिगर चाहिए साहब। प्रसिद्धि यूं ही नही मिलती, इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। ये शब्द अपने पाक कर्म से सिद्ध कर दिखाए है एक ऐसे मनीषी ने जो साहित्य के क्षेत्र के एक ऊँचे स्तंभ,समर्पित भाव से समाज की सेवा में दिन-रात तल्लीन रहते है। उत्तराखंड ही नही इस प्रदेश के बाहर भी राष्ट्रीय स्तर तक पहचान के मोहताज नही है। ये व्यक्तित्व है उत्तराखंड के बागेश्वर जनपद के गरुड़ निवासी मोहन चंद्र जोशी।

श्री जोशी बेहद शालीन, विनम्र, मृदभाषी, हँसमुख चेहरे में दिव्य ओज के मालिक हैं वे अभी तक दर्जनों हिंदी, कुमाऊनी पुस्तकों को जन्म दे चुके हैं। माँ शारदा का यह पुजारी अपने शब्दों की ध्वनि से हजारों, लाखों साहित्य प्रेमियों, आमजनों को ज्ञान की बीणा से झंकृत कर चुके है। हिन्दू आस्था का पवित्र ग्रंथ ‘गोस्वामी तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस’, श्रीमद्भगवद्गीता एवं महाकवि जयशंकर प्रसाद रचित ‘कामायनी’ महाकाव्य का कुमाऊनी में अनुवाद कर श्री जोशी ने जहाँ एक ओर नया कीर्तिमान स्थापित किया, वहीं कुमाऊनी चाहने वाले, बोलने वाले,समझने वालों लाखों, करोड़ो उत्तराखंडवासियों को उनके कुमाऊनी होने का गौरव दिलाया। आपके द्वारा साढ़े चार दशकों से ‘आदर्श रामलीला कमेटी के रूप में विभिन्न पात्रों का अभिनय किया जा चुका है। वर्तमान में दो दशकों से आप दशरथ के पात्र का अभिनय करते हैं। आपने ‘रामलीला नाटक का कुमाऊनी भावानुवाद’ भी किया है।

आपके द्वारा दशरथ कैकई संवाद में कुमाऊनी संवाद अभिनय लोगों द्वारा पसंद किया जाता है। कोरोना काल में भी आपने ‘मोहन गीत’, ‘मोहन गजल’ ‘झलक’ एवं कुमाऊनी में सामूहिक संकलन ‘आंठ्’( जिसमें कुमाऊं के 55 रचनाकारों के परिचय एवं उनकी प्रतिनिधि रचनाएं संकलित हैं। यह अब तक का कुमाऊनी में सबसे बड़ा सामूहिक संकलन है।) उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा ‘थुपुड़’ तथा उत्तराखंड संस्कृति विभाग द्वारा‘हुक धैं रे’ उनकी पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। श्री जोशी द्वारा अट्ठारह सौ सत्तावन से लेकर आजादी तक के 28 क्रांतिवीरों की गाथा को ‘वीर शहीद अमर क्रांतिकारी सोमनाथ गाथा’ के रूप में उनकी छंदबद्ध काव्यखण्ड प्रकाशित हुई है। इसके इसके अलावा ‘मोहन गीता’ उनके गीतों का संकलन है। आपके द्वारा 2008 से 2016 तक ‘बैजनाथ’दैनिक समाचार पत्र का अनियमित सम्पादन भी किया गया है। वर्तमान में आप कुमाउनी संकलन ‘गढ़ौव का सम्पादन कर रहे हैं। स्थानीय स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक अपने दमदार कृतित्व से आपको कई पुरस्कारों से नवाजा चुका है। इसके साथ ही नियमित आकाशवाणी अल्मोड़ा, दूरदर्शन देहरादून,कुमाऊंॅ वाणी आदि से आपकी रचनाओं का प्रसारण हुआ है। दिल्ली,देहरादून,कुरूक्षेत्र,बरेली,गजरौला,हल्द्वानी,उधमसिंह नगर, ज्योलिकोट,मानिला,कपकोट, बागेश्वर आदि में आयोजित कवि गोष्ठियों, सेमिनारों में आपकी सक्रिय सहभागिता रहती है। ‘उत्तराखण्ड पत्रकार एवं साहित्यकार समिति के आप अध्यक्ष हैं,जिसके माध्यम से विभिन्न साहित्यिक आयोजन करते रहते हैं। अपने साहित्यिक संसार के साथ-साथ श्री जोशी जी सामाजिक सरोकारों को निभाने में भी आगे रहते है। सुदूर देशों से भी लोग जब अपनी माटी में पहुचते हैं तो गरुड़ के मोहन जोशी से मिलना नही भूलते है। विपदा काल मे भी उनकी उपलब्धि प्रभावकारी रही है। आप विगत 31 वर्षो से संचालित आदर्श ज्ञानार्जन विद्यालय समिति के संस्थापक ‘अध्यक्ष/प्रबन्धक’ हैं। आदर्श ज्ञानार्जन विद्यालय के तत्वाधान में बच्चों के मानसिक विकास के लिए ऑनलाइन प्रतियोगिता, सहभागिता व दूसरे रोचक कार्यक्रम, त्वरित भाषण, संचालन, बाल कवि सम्मेलन, ‘गढ़-कुमौं काव्य धारा’ आयोजित कर रहे हैं जिसमें कविता, कहानी, व्यग्य,गजल,इत्यादि प्रस्तुतियों का क्रम अनवरत बना हुआ है। इस कार्यक्रम में पूरे उत्तर भारत के बच्चे विशेषज्ञों से सीधे बात करते हैं।

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ज्ञानार्जन का ऑनलाइन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के सभी हिस्सों से अपने-अपने क्षेत्रों के महारथी,प्रभावकारी,रचनाकार व विभिन्न साहित्यिक व शैक्षणिक संस्थानों के लोगों से बच्चों का परिचय कराकर प्रेरित कराया जाता है। प्रो0 देव सिंह पोखरिया, सदस्य उत्तराखंड भाषा संस्थान देहरादून, श्री आकाश सारस्वत,उप निदेशक, सशिअ. देहरादून, हेमन्त बिष्ट नैनीताल, वैज्ञानिक डॉ0 बी0डी0 लखचौरा, वैज्ञानिक डॉ0 डी0 एस0रावत, साहित्यकार पूरन चंद्र कांडपाल, दिल्ली, हेमवती नन्दन भट्ट‘हेमू’, धर्मेंन्द्र नेगी, जगदीश चन्द्र जोशी, वरिष्ठ साहित्यकार हल्द्वानी,दिनेश भट्ट पिथौरागढ़, श्रीमती पुष्पलता जोशी‘पुष्पांजलि’, डॉ0 मुजू पाण्डे ‘उदिता’ हल्द्वानी, श्रीमती विमला जोशी,हल्द्वानी, एम.जोशी हिमानी लखनऊ, श्रीमती बीना भट्ट बड़शिलिया हल्द्वानी, श्री खुशाल सिंह खनी अल्मोड़ा, श्री दिनेश कर्नाटक हल्द्वानी,डॉ0 कुंदन सिंह रावत, डाइट बागेश्वर, डॉ0 राजीव जोशी डायट बागेश्वर, श्री प्रकाश चन्द्र पाण्डे कनखल हरिद्वार,श्री डॉ0 हेम चंद्र दुबे, विभागाध्यक्ष हिंदी, डिग्री कॉलेज गरुड़, चंद्रशेखर बड़सीला गरूड ,डॉ0 आषा तिवारी, बागेश्वर, सहित कई जानी मानी हस्तियां शिरकत कर रहे है। ज्ञानार्जन के सत्रहवीं ऑन लाइन कायशाला के मुख्य अतिथि प्रेम प्रकाश उपाध्याय ‘नेचुरल’, विशिष्ट अतिथि दिनेश भट्ट, प्रसिद्ध साहित्यकार अशोक जोशी , फुलेरा जी सहित किरण, दोसद, सहित स्कूलों के बच्चों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। इस ऑन लाइन कार्यशाला का विषय बड़ा ही रोचक व समसामयिक था -‘बच्चों के लिए सोशल मीडिया के फायदे,नुकसान और फायदे’.
विद्यालय बंद होने से बच्चों के लिए यह आयोजन बहुत ही लाभकारी जान पड़ रहा है। मोहन जोशी ने सभी से अपील की है बच्चों के अधिकाधिक लाभ के लिए प्रेरित करें, जिससे कोरोना काल में भी उनके व्यक्तित्व विकास में निखार आ सकें। बच्चें, रचनाकार, साहित्यकार,वैज्ञानिक, समाज सुधारक, चिंतक व पहाड़ से प्रेम करने वाले, माता-पिता, अभिवावक, एवं स्नेही जनों के लिए एक सुनहरा अवसर है कि वे इससे जुड़कर अपने को अनुभवों के साथ सांझा करे।

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ऑन लाइन मित्र
क्या खूब दुनिया तेरी स्टाइल होती है।
मित्र बनाने को विनय फाइल होती है।
लगा कर मधुर प्रोफाइल तस्वीर एक,
फेसबुक में अलग ही स्माइल होती है।
ना करें स्वीकार्य कभी अनुनय उनका,
ताले में जिनकी ये प्रोफाइल होती है।
सम्भवतः विशेष मकसद के बेनर तले,
वो इरादतन खनकती पायल होती है।
अक्सर साजिशों के भँवर में दुनियाँ,
आए दिन धोखे में ही घायल होती है।
ना जाने क्यों भूलकर दुनियाँ अशोक,
अंजान राहों की ओर कायल होती है।

अशोक जोशी, वरिष्ठ साहित्यकार

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