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उत्तराखण्ड

बच्चे और सोशल मीडिया

आज के समय में वैसे तो हर कोई सोशल मीडिया के प्रभाव में है लेकिन बच्‍चों की मौजूदगी इसमें रफ्तार पकड़ रही है। देखा जा रहा है कि बच्चे छोटी उम्र से ही स्मार्टफोन के आदी होते जा रहे हैं और अपना अधिक समय इनके साथ बिताना पसंद कर रहे हैं। वहीं, बच्चों पर सोशल मीडिया के अच्छे और बुरे प्रभाव दोनों देखे जा रहे है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि सोशल मीडिया का उपयोग आज के समय में तेजी से हो रहा है। ऐसे में माता पिता,शिक्षक, अभिवावक, चिर-परिचित व मित्र व दोस्तों , यहाँ तक की समाज को भी बच्चों पर पड़ने वाले इसके प्रभावों के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
सोशल मीडिया का उपयोग अगर सही तरीके से किया जाए, तो इसके कई फायदे सामने आ सकते हैं। असीमित सूचना का संसाधन,होमवर्क में व शिक्षकों से संपर्क करने में मददगार और इसके अलावा, बच्चे मैसेज के माध्यम से भी शिक्षकों से अपने डाउट्स क्लियर कर सकते हैं। कोरोना काल में इसका एक अच्छा उदाहरण देखा जा सकता है, ऑन लाइन क्लासेज व वर्चुअल कांफ्रेंस,ई क्लासेज इत्यादि से बच्चों में सीखने के प्रति रुचि जागी हैं।मनोरंजन का साधन,
सोशल मीडिया के माध्यम से बच्चे स्डूको,ब्रेन ट्विस्टर,पजल,क्रॉस वर्ड इत्यादि जैसी अन्य दिमाग वाले गेम्स खेल सकते हैं, इससे उनका मनोरंजन होने के साथ-साथ दिमाग भी शार्प होता हैं,
आत्मविश्वास में बढ़ोतरी,
कौशल विकास में सोशल मीडिया बच्चों के लिए एक मंच प्रदान करता है, जहां बच्चे अपनी रुचि के अनुसार नई-नई चीजों को सीख सकते हैं। जैसे – संगीत, कला, खेल आदि। इससे बच्चों में स्किल डेवलप होती है. रिश्तेदारों,दोस्तो से संपर्क बनाए रखने में इसके अतिरिक्त मूड ठीक करने, जागरुकता फैलाने,सामान्य ज्ञान- विज्ञान प्रश्नो को हल करने
में सहायक हैं,कम्युनिकेशन स्किल में बढ़ोतरी भी सोशल मीडिया से हो सकती हैं।


सोशल मीडिया के सही इस्तेमाल से बच्चों की कम्युनिकेशन स्किल्स बेहतर हो सकती है। यूट्यूब के वीडियो के माध्यम से बच्चे हिंदी और इंग्लिश, दूसरी भाषाओं को बोलने, लिखने का तरीका सीख सकते हैं। इससे बच्चे खुद को प्रेरित कर सकते हैं। बच्चों को प्रतिभा दिखाने का मौका,
सोशल मीडिया एक खुला मंच है। यहां बच्चे अपनी रुचि के हिसाब से अपने टैलेंट को दिखा सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर किसी बच्चे को डांस में रुचि है, तो वह उसका वीडियो बनाकर अपलोड कर सकता है। इससे उसके प्रतिभा को एक नया मंच मिल सकता है।
बच्चों पर सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों में सोशल मीडिया का अधिक उपयोग बच्चों की मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। बच्चों के संज्ञानात्मक (cognitive) नियंत्रण पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, बच्चों की नींद में भी कमी देखी गई है। अवसाद , चिंता का कारण, पढ़ाई-लिखाई भी प्रभावित शामिल है। इस बारे में शोध बताते हैं कि स्मार्टफोन के अधिक उपयोग से बच्चों की सामाजिक कार्य प्रणाली के साथ-साथ स्कूली परफॉर्मेंस भी प्रभावित हो सकती है। साइबर बुलिंग यानी इंटरनेट माध्यमों से किसी को तंग करना या उसका मजाक उड़ाना या उसे नीचा दिखाना बच्चों में घर करते जा रही है। बच्चे अगर अपना अधिकांश समय सोशल मीडिया पर बिताते हैं, तो इससे उन्हें इसकी लत भी लग सकती है। इसका नकारात्मक असर बच्चों की दिनचर्या पर पड़ सकता है। ।इसका असर उनकी एकाग्रता पर भी पड़ सकता है।
इसके अलावा, अगर माता-पिता उसे छोटी-छोटी चीजों की पढ़ाई के लिए भी फोन का इस्तेमाल करने के लिए छोड़ देते हैं, तो वैसे में वह अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करना छोड़ देता और पूर तरह फोन पर निर्भर हो जाएगा।
सोशल मीडिया पर समय बिताने के लिए बच्चों की समय सीमा को निर्धारित करें। साथ उन्हें सोशल मीडिया का उपयोग करने के लिए ऐसा समय दें, जिससे उनकी पढ़ाई, नींद, भोजन जैसी जरूरी चीजें बाधित न हो।अगर बड़े बच्चे का फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अकाउंट्स हैं, तो नियमित रूप से उन अकाउंट्स को चेक करते रहें। माता पिता चाहें, तो सप्ताह में एक बार ऐसा कर सकते हैं। इससे बच्चों की गतिविधियों पर नजर बनी रहेगी। बच्चों को बताएं क्या गलत है क्या सही हैं।सोशल मीडिया पर सही और गलत दोनों तरह की चीजों का प्रसार होता है। ऐसे में इसके उपयोग से पहले बच्चों को पता होना चाहिए कि सही और गलत में क्या अंतर है। खासकर गलत आदतों के बारे उन्हें जानकारी होनी चाहिए। इसलिए, सोशल मीडिया की गलत आदतों के बारे में बच्चों को जरूर बताएं ताकि वह इसे दूरी बनाकर रखें।
दोस्तों के साथ आमने सामने बात करने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करें वह उनके पास जाएं और बातें करें। इससे उनकी दोस्ती भी बढ़ेगी और सोशल मीडिया की लत भी नहीं लगेगी।
बच्चों के स्मार्टफोन देने से पहले उनसे सोशल मीडिया के बारे में खुल कर बात करें। वहीं, अगर बच्चा पहले से इसका उपयोग कर रहा है, तो उससे पूछें कि वह सोशल मीडिया का इस्तेमाल कैसे कर रहा है। इससे हम इंटरनेट तकनीक आधारित सोशल मीडिया का संतुलित उपयोग कर सकने में बच्चों की मदद के पायंगे।

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प्रेम प्रकाश उपाध्याय ‘नेचुरल’ उत्तराखण्ड

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