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उत्तराखण्ड

आखिर क्यों धामी को हारने के बाद भी बनाया गया सीएम,जानिए वजह

बीजेपी विधायक दल की बैठक में पुष्कर सिंह धामी को सर्वसम्मति से नेता चुन लिया गया। श्री धामी को बीजेपी ने एक और मौका देते हुए प्रदेश की बागडोर सौंप दी है। इसे बीजेपी में नई संस्कृति ही कहा जा सकता है कि हारे हुए नेता को एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया गया है।

ऐसे में हर किसी के मन में यही सवाल है कि आखिर विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी बीजेपी ने पुष्कर सिंह धामी को अवसर क्यों दिया। चलिए इस सवाल का जवाब जानने की कोशिश करते हैं। पुष्कर सिंह धामी को दोबारा मौका देने की सबसे बड़ी वजह यही रही कि चुनाव उनके चेहरे पर लड़ा गया था। इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इतिहास रचते हुए एक बार फिर सत्ता में वापसी की है। बार-बार मुख्यमंत्री बदले जाने पर कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार को घेरे हुए थी। बीजेपी ने पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाकर सियासी समीकरण भी साधे हैं।

पुष्कर सिंह धामी को खुद को साबित करने के लिए सिर्फ 6 महीने का वक्त मिला। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने बहुत कम समय में कई बड़े काम किए। जिनमें खिलाड़ियों के लिए खेल नीति बनाने, जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने, पौड़ी और अल्मोड़ा को रेल लाइन से जोड़ने जैसी योजनाओं का ऐलान भी शामिल था। पुष्कर सिंह धामी आरएसएस से जुड़े रहे हैं। उन्होंने एबीवीपी से अपनी राजनीतिक पारी का आगाज किया। वह दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

बेहद विनम्र स्वभाव के धामी पार्टी के हर कार्यकर्ता की पहुंच में माने जाते हैं। वो ईमानदार छवि वाले नेता हैं, जिन पर किसी तरह का भ्रष्टाचार का आरोप नहीं है। 46 साल के पुष्कर सिंह धामी युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। बीजेपी ने उत्तराखंड में अगली पीढ़ी का नेतृत्व विकसित करने की प्लानिंग की है। पार्टी राज्य में लंबे समय की राजनीति को ध्यान में रखकर चल रही है। इसी आधार पर धामी को एक बार और सत्ता सौंपी गई है।

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