उत्तराखण्ड
महिलाओं के लिए मिसाल बनी हरिद्वार की नीलम, ई रिक्शा चलाकर करती बच्चों का पालन पोषण
हरिद्वार जिले के रुड़की नगर की नई बस्ती सुनहरा की रहने वाली एक साहसी महिला नारी सशक्तिकरण की मिसाल बन गई है। यह महिला अपने तीन बच्चों का पेट पालने के लिए शहर में ई-रिक्शा चला रही है। दरअसल कोरोना महामारी के दौरान दिल का दौरा पड़ने से नीलम के पति का निधन हो गया था। जिसके बाद से वह अकेले ही अपने परिवार की जिम्मेदारी उठा रही है अपने बच्चों को पालने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। नीलम ने बताया कि पति की मौत के बाद उसने लोगों के घरों में झाड़ू-पोछा करने और खाना बनाने का काम भी किया। लेकिन यह काम उसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं था। इस मुश्किल दौर में नीलम ने कई जनप्रतिनिधियों से आर्थिक मदद की गुहार भी लगाई। लेकिन आशा के अनुरूप कोई ठोस मदद नहीं मिल पा रही थी। जिसके बाद मजबूरी में पाने बच्चों के लिए उसने नगर में एक खोखा रखकर चाय की दुकान भी खोली। लेकिन यह सहारा भी कुछ दिन ही चल सका। नीलम का कहना है कि कुछ लोगों ने उसकी शिकायत कर दी और उसकी चाय दुकान भी बंद हो गई. तमाम मुश्किलों के बाद भी नीलम ने हार नहीं मानी और ई रिक्शा चलाने लगी। अब वह 300 रुपये प्रति दिन के हिसाब से किराए पर ई-रिक्शा लेकर नगर की सड़कों पर निकलती हैं और अपने परिवार के लिए पैसे कमाती हैं। दिनभर की मेहनत के बाद वह 600 से 700 रुपये तक कमा लेती हैं। इसमें से 300 रुपये उसे ई-रिक्शा के किराए के रूप में देना पड़ते हैं। बचे हुए पैसों से वह अपने दो बेटों और एक बेटी का पालन-पोषण कर रही हैं। दरअसल नीलम नाम की यह महिला अपने संघर्ष और मेहनत से समाज के सामने एक मिसाल पेश कर रही है। हालात चाहे कितने भी कठिन क्यों न हों, उसने हिम्मत नहीं हारी और अपने परिवार के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। अब वह चाहती है कि उसे किसी तरह की स्थायी मदद मिले, ताकि वह अपनी ई-रिक्शा खुद खरीद सके और अपने बच्चों का भविष्य संवार सके।

































