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उत्तराखण्ड

वन गुर्जरों के बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित करना बंद करो : बहादुर सिंह जंगी

  • वनों से लेकर गांव शहर तक गरीबों को उजाड़ने के सरकारी अभियान पर रोक लगे : डा कैलाश पाण्डेय

वन विभाग द्वारा वन गुर्जरों के
बच्चों के स्कूलों को उजाड़ने, बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित लिये जाने तथा नमाज पढ़ने से रोके जाने, नमाज स्थल को ही ध्वस्त किए जाने के विरोध में अखिल भारतीय किसान महासभा ने उपजिलाधिकारी कार्यालय हल्द्वानी के माध्यम से राज्य के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा।

अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष बहादुर सिंह जंगी ने बताया कि, “लंबे समय से सरकारी स्कूल की मांग कर रहे वन गुर्जरों द्वारा सरकार द्वारा मांग न माने जाने पर अपने बच्चो को शिक्षा दिये जाने के लिए स्कूल खोले थे। गुर्जरों के बच्चों को शिक्षा से वंचित करते हुए 18 और 19 अक्टूबर 2023 को केन्द्रीय वन प्रभाग के अन्तर्गत भुड़ा खत्ता, नहर खत्ता, टांडा, ढिमरी , तिलपुरी क्षेत्र में वन विभाग द्वारा वन गुर्जरों के बच्चों के लिए बने स्कूलों को तहस-नहस किया गया है। जिनमें 25-30 से लेकर 60-70 बच्चे अध्ययनरत थे जिनमें शिक्षक भी वन गुर्जरों ने अपने खर्च से ही नियुक्त किये थे। सरकारी स्कूल की सुविधा उपलब्ध कराना दूर रहा लेकिन अपने बच्चों को स्वयं के खर्च पर शिक्षा देने के गुर्जरों को रोक दिया गया। साथ ही 18-19 अक्टूबर को वन विभाग ने जे.सी.बी. से टांडा व नहर खत्ता में वन गुर्जरों के घर के पास तार बाढ़ को तोड़ कर साग-सब्जी व पशुओं के चारा रौंद कर रख दिया गया। ढिमरी खत्ता में बन गुर्जर को अपने घर में नमाज पढ़ने से रोका गया और उस स्थल को तथा उनके शौचालय को तहस-नहस किया गया। धार्मिक अल्प संख्यकों वन गुर्जरों का उत्तराखण्ड के तराई-भावर के वनों में 150 वर्षों से रहकर पशुपालन, दूध उत्पादन कर रोजी-रोटी चलाने का लिखित इतिहास मौजूद है। उनके बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित करने, उनके हजारो गाय, भैंसों को तथा हजारों लोगों को रोटी व पशुओं को चारा-पानी से वंचित करने का अभियान धामी सरकार ने चला रखा है।”

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उन्होंने कहा कि, “अखिल भारतीय किसान महासभा ने नैनीताल, ऊधमसिंहनगर के वन खत्तों में रहने वाले नागरिक अधिकार से वंचित रह गये वन गुर्जर-गोठ खत्ता वासी को नागरिक अधिकारों
की मांग लंबे समय से उठाई है लेकिन सुविधाएं देना तो दूर वन वासियों को जीवन और शिक्षा के अधिकार से भी महरूम किया जा रहा है। पहले कहा गया था कि वन गुर्जर, गोठ खत्ता वासियों से चारा, फसल पर शुल्क नहीं लिया जायेगा, लेकिन अब गेटो पर शुल्क किया जा रहा है, जो पूर्व के आदेश का सीधा उल्लंघन वन विभाग द्वारा किया जा रहा है जिसे रोका जाना चाहिए।”

जंगी ने कहा कि, “उत्तराखंड की भाजपा सरकार भारत के संविधान के तहत मिले नागरिकों के अधिकार का उल्लंघन कर रही है। अतः उत्तराखण्ड के वन खत्तों में रहने वाले हजारों वन वासियों को उजाड़ने पर रोक लगाई जाए एवं उनके बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित करना बंद किया जाय।”

भाकपा माले जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “भाजपा सरकार वनों से लेकर गांव शहर तक गरीबों को उजाड़ने का काम कर रही है। मख्यमंत्री धामी ने अतिक्रमण हटाने के अभियान को लैंड जेहाद का नाम देकर इस अभियान को सांप्रदायिक रंग दिया और अब इसकी आड़ में हर धर्म के गरीबों, छोटे व्यापारियों को उजाड़ने का काम पहाड़ से लेकर मैदान तक भाजपा सरकार द्वारा चलाया जा रहा है। गरीबों को उजाड़ने, बेघर करने का यह सरकारी बुलडोजर हर हाल में रुकना चाहिए।”

ज्ञापन देने वालों में बहादुर सिंह जंगी, डा कैलाश पाण्डेय, मो यामिन, मो शफी, शमशाद आदि शामिल रहे।

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बहादुर सिंह जंगी,
प्रदेश उपाध्यक्ष,
अखिल भारतीय किसान महासभा,
फोन: 9411129579

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