उत्तराखण्ड
उच्च शिक्षा के गिरते स्तर पर हाईकोर्ट सख्त”यूजीसी, सरकार के साथ साथ अयोग्य प्रवक्ताओं से मांगा जवाब
हल्दुचौड़-लाल बहादुर शास्त्री राजकीय महाविद्यालय के प्रांतीयकरण के दौरान हुई नियमविरुद्ध नियुक्तियो व एक पूर्व कैबिनेट मंत्री के रिश्तेदारों को नियमविरुद्ध नियुक्ति देने पर हल्दुचौड़ निवासी पीयूष जोशी द्वारा दायर जनहित याचिका में हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई है।
जनहित याचिका में कहा गया था कि हल्दूचौड़ महाविद्यालय में प्रान्तीयकरण के दौरान उच्च शिक्षा के मानको को घटाकर बिना नेट कालीफाई किये अयोग्य लोगों को नियुक्ति दे दी गई थी।
इस पर राज्य सरकार के द्वारा दायर जवाब में कहा गया था कि महाविद्यालय के प्रांतीयकरण के दौरान हुई नियुक्तियों में मानवीय आधार पर छूट दी गई थी, जिस पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश विपिन सांगी की खंडपीठ ने फटकार लगाते हुए राज्य सरकार से पूछा कि मानवीय आधार पर नियुक्ति किस प्रकार दे दी गई जबकि राज्य में हजारों योग्य बेरोजगार युवा घर बैठे हुए हैं व प्रोफेसर की निर्धारित अहर्ता को घटाकर 55% से 40% करने को योग्यता के मानकों को घटाने पर फटकार लगाई।
साथ ही कड़े शब्दों में पूछा कि सवाल यह है कि लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय में नियुक्त सभी प्रवक्ताओं में ऐसे कितने प्रवक्ता हैं जो यूजीसी द्वारा निर्धारित नेट की अहर्ता नहीं रखते इस संबंध में प्रतिवादियों 10 दिनों के भीतर ही जवाब देने को कहा गया है ,अब मामले की सुनवाई 2 हफ्ते बाद होगी।